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20 Nov 2021 · 1 min read

इश्क का गुनाह

जब मेरे गुनाहों का हिसाब किया जाए
मुझसे भी थोड़ा मशविरा किया जाए
एक तरफा न होकर, मेरे ज़ख्मों की
आवाज़ को नज़रंदाज़ न किया जाए।।

तकलीफ़ दिल को हुई है मेरे भी बहुत
बिना सबूत मुझे गुनहगार न माना जाए
इस गुनाह में शामिल उस बेवफा को भी
सबूतों के आधार पर बराबर सज़ा दी जाए।।

अदालत दिलजलों पर थोड़ी तो रहमत बरते
सबूत दे रही मेरे दिल की धड़कनों को भी सुन लें
बढ़ जाती थी जो उसका ख्याल आते ही
उसकी गवाही पर वारदात की असल कहानी गढ़ लें।।

जिनसे छुपकर मिलता था मुझसे वो बेवफ़ा
आज वो सब उसको बेचारा समझ रहे हैं
आज मेरे खिलाफ़ इक तरफा हो गए है सब
और मुझको ही अकेला गुनहगार समझ रहे है।।

दिल तो तोड़ा है उसने, लेकिन आज,
लोग मुझे ही गुनहगार समझ रहे है
इश्क तो किया था हम दोनों ने मिलकर
वो मुझे अकेला ही तलबगार समझ रहे है।।

चाहता हूं न्याय, जब जुर्म किया दोनों ने
फिर सज़ा भी दोनों को बराबर ही हो
वैसे तो छोड़ गया है अब वो मुझको
सज़ा के बहाने, जेल में मेरे साथ ही हो।।

जब साथ रहेंगे फिर से हम, दिल की बातें होगी
शायद गलतफहमियां उसकी दूर हो जाएगी
वो भी फिर से इश्क की सीढ़ियां चढ़ जायेगी
और वो फिर से मेरी मोहब्बत में पड़ जायेगी।।

Language: Hindi
471 Views
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