Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
8 Aug 2020 · 1 min read

” इश्क़ “

“इश्क़”
**************************

तू इकरार से अच्छा इन्कार करती है
खनकती रागिनी तेरी सौ सवाल करती है
छिपा दिल के झरोखों में निगाहें मुस्कुराती है
माना दिल अभी बच्चा है मेरा जानेमन पर
धड़कने सलामती की तेरी ही फरियाद करती है।

शबनमी होंठो की पंखुडियां गुलाब लगती है
छलकते होंठो से शबनम शराब लगती है
छनकती पायल की रुन-झुन सितार लगती है
झटकती जुल्फों को अदाओं से सावरी तुम
बंजर दिल-ए-बस्ती में इश्क की बरसात करती है।

घटाए तेरे जुल्फों की छायी सुबह शाम रहती है
हवा के झोकों की खुशबू बदन से तेरे चलती है
नशीली आंखों में खोकर सुबह से शाम होती है
लूटी दिल की बस्ती पीला के होठों से मधुशाला
गवां के चैन दिल का निगाहें सुकून ढूंढ़ती है ।

हुस्न का चर्चा जब भी हो तेरी ही बात चलती है
खिली है पूनम की जो रात वहीं तू चांद लगती है
चमकती माथे की बिंदियॉ तेरा ही सूरज लगती है
सुनहरे बालों को ऐठे मचलती हिरनी की जैसी
चला के बान नैनो से फिजा में घायल करती है ।

“‘””””””””सत्येन्द्र प्रसाद साह (सत्येन्द्र बिहारी)'”””””””””

2 Likes · 4 Comments · 421 Views

You may also like these posts

छल फरेब की बात, कभी भूले मत करना।
छल फरेब की बात, कभी भूले मत करना।
surenderpal vaidya
कभी तो ख्वाब में आ जाओ सूकून बन के....
कभी तो ख्वाब में आ जाओ सूकून बन के....
shabina. Naaz
तेवरी में करुणा का बीज-रूप +रमेशराज
तेवरी में करुणा का बीज-रूप +रमेशराज
कवि रमेशराज
शायरी की राह
शायरी की राह
Chitra Bisht
23/192. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/192. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
"ज़िंदगी जीना ही होता है"
Ajit Kumar "Karn"
मिट न सके, अल्फ़ाज़,
मिट न सके, अल्फ़ाज़,
Mahender Singh
चाहत मोहब्बत और प्रेम न शब्द समझे.....
चाहत मोहब्बत और प्रेम न शब्द समझे.....
Neeraj Agarwal
चमकता तो मैं भी चाँद की तरह,
चमकता तो मैं भी चाँद की तरह,
Bindesh kumar jha
sp123 जहां कहीं भी
sp123 जहां कहीं भी
Manoj Shrivastava
दोहा
दोहा
seema sharma
लगाया करती हैं
लगाया करती हैं
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
प्रेम और दोस्ती में अंतर न समझाया जाए....
प्रेम और दोस्ती में अंतर न समझाया जाए....
Keshav kishor Kumar
खुद से
खुद से
पूर्वार्थ
एक मोम-सी लड़की रहती थी मेरे भीतर कभी,
एक मोम-सी लड़की रहती थी मेरे भीतर कभी,
ओसमणी साहू 'ओश'
जो बुजुर्ग कभी दरख्त सा साया हुआ करते थे
जो बुजुर्ग कभी दरख्त सा साया हुआ करते थे
VINOD CHAUHAN
यूं तन्हाई में भी तन्हा रहना एक कला है,
यूं तन्हाई में भी तन्हा रहना एक कला है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
होंसला, हिम्मत और खुदा
होंसला, हिम्मत और खुदा
ओनिका सेतिया 'अनु '
"संयोग"
Dr. Kishan tandon kranti
*परिमल पंचपदी--- नवीन विधा*
*परिमल पंचपदी--- नवीन विधा*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
चल मोहब्बत लिखते हैं
चल मोहब्बत लिखते हैं
सिद्धार्थ गोरखपुरी
कोशिश बहुत करता हूं कि दर्द ना छलके
कोशिश बहुत करता हूं कि दर्द ना छलके
इंजी. संजय श्रीवास्तव
-जीना यूं
-जीना यूं
Seema gupta,Alwar
हिन्दुस्तानी हे हम
हिन्दुस्तानी हे हम
Swami Ganganiya
हर तरफ़ घना अँधेरा है।
हर तरफ़ घना अँधेरा है।
Manisha Manjari
फर्क़ है
फर्क़ है
SURYA PRAKASH SHARMA
- मतलबी दोस्त आज के -
- मतलबी दोस्त आज के -
bharat gehlot
तुम जिसे झूठ मेरा कहते हो
तुम जिसे झूठ मेरा कहते हो
Shweta Soni
मेरे शहर बयाना में भाती भाती के लोग है
मेरे शहर बयाना में भाती भाती के लोग है
The_dk_poetry
मउगी ओकर (हास्य कविता)
मउगी ओकर (हास्य कविता)
आकाश महेशपुरी
Loading...