इश्क़ भी इक नया आशियाना ढूंढती है,
इश्क़ भी इक नया आशियाना ढूंढती है,
कभी दिल तो कभी दिमाग में घूमती है
लाखों की भीड़ है मयखाने में इन दिनों,
यूं शराब भी दर-ओ-दीवार में झूमती है
©️ डॉ. शशांक शर्मा “रईस”
इश्क़ भी इक नया आशियाना ढूंढती है,
कभी दिल तो कभी दिमाग में घूमती है
लाखों की भीड़ है मयखाने में इन दिनों,
यूं शराब भी दर-ओ-दीवार में झूमती है
©️ डॉ. शशांक शर्मा “रईस”