इश्क़ का दामन थामे
इश्क़ का दामन थामे , हम दूर तक चले आये ।
बेवफाई कर गये वो,और कर गये हमें पराये।
धड़कन की तस्बीह में हम लेते रहे तेरा नाम
मुद्दत हुई, लेकिन तुम ये बात समझ न पाये।
तेरे कदमों की मिट्टी को,सजदा करते रहे हम
दिल तेरी दहलीज़ तक,हम पहुंच कभी न पाये
इश्क़ तेरे में हुये दीवाने,सारा जहां हम भूले
जागती आंखों में हमने,सपने बहुत सजाये।।
दीदार तेरा हो जाये जब, खुशी कैसे बताएं
लगे ऐसे जैसे रात को , कोई सूरज चढ़ आये।
सुरिंदर कौर