इश्क़ का अंज़ाम
“तू ऐसे ही प्यासा रह जाए
भरे हुए ज़ाम तक न पहुंचे!”
“तेरे दिल की बेताबी नींद
और आराम तक न पहुंचे!”
मैं महवे-ख़्वाब ही था अभी
कि मुझे किसी ने बद्दुआ दी
“ज्जा तेरा इश्क़ ताक़यामत
कभी अंजाम तक न पहुंचे!”
Shekhar Chandra Mitra
“तू ऐसे ही प्यासा रह जाए
भरे हुए ज़ाम तक न पहुंचे!”
“तेरे दिल की बेताबी नींद
और आराम तक न पहुंचे!”
मैं महवे-ख़्वाब ही था अभी
कि मुझे किसी ने बद्दुआ दी
“ज्जा तेरा इश्क़ ताक़यामत
कभी अंजाम तक न पहुंचे!”
Shekhar Chandra Mitra