‘इरशाद’
एक शायरी तेरी हमको याद आई,
वो न आए पर याद बरसों बाद आई।
भूल ही गए थे तेरी उल्फ़त के सिले,
कि नज़्म तेरी बनके इरशाद आई।
एक शायरी तेरी हमको याद आई,
वो न आए पर याद बरसों बाद आई।
भूल ही गए थे तेरी उल्फ़त के सिले,
कि नज़्म तेरी बनके इरशाद आई।