इमोजी डे
– इमोजी का एक किस्सा
संवाद का एक और हिस्सा
कहते हैं उन्हें इमोजी का किस्सा,
अंगुलियां के इशारे से भेजकर
भावना का इजहार करते विशेषकर,
आज के डिजिटल युग यह खास है
जेनेरेशन ऐसी की इमोजी पर विश्वास है,
इससे कभी कभी ग़लत फहमी हो जाती है
मजाक में भी बातचीत बंद हो जाती है,
कभी-कभार इमोजी के सही मायने समझ न पाते हैं
फिर बात वैसी न बने तो डिप्रेशन से ग्रस्त हो जाते हैं,
इमोजी तो मनमोजी, खुद को हकीकत में ही व्यक्त करें
डिजिटलीकरण में इमोजी की आड़ में खुद को ना ठगे,
आंखों में नमी,दिमाग तनाव,दिल में उदासी का वास है,
निज स्माइली से उसकी स्माइल दिला तो फिर रास है।
संवेदना,भावनाएं अपनी-अपनी सब जाहिर करें,
जो है सो है इमोजी वैसी रख खुद को ताहिर करें,
पर बह कर पूरी तरह से उसमें स्वयं को नम न करें
डिप्रेशन के चक्कर में खुद की क्षमता कम न करें।
-सीमा गुप्ता अलवर राजस्थान