इमरजेंसी
अपने देश में यह आपातकाल ही नहीं
लोगों के अधिकारों का अपहरण था
पूरे इक्कीस महीने तक सम्पूर्ण देश में
आम आदमी का घुट-घुट कर मरन था
विद्युत गति से आई सरकारी फैसले से
आम आदमी परेशान नजर आ रहा था
दूसरी ओर प्रशासन अपनी मनमानी से
भोले भाले लोगों पर कहर ढ़ा रहा था
आजादी के बाद भी सरकार ने लोगों के
अभिव्यक्ति की आजादी को झपट ली
देश के इस काले अध्याय को लोगों ने
बाद में तो विष समझ कर गटक ली
लोगों का अनेक झंझावतों को झेलना
यह एक पीड़ादायक अलग ही दौर था
सब हाशिए पर थे और मुख्य धारा में
दोनों माॅं बेटे को छोड़ न कोई और था
सरकार के विरुद्ध ना हो कोई आयोजन
नहीं तो उनका जेल में होगा समायोजन
हर दिन ही नये नये नियम गढ़े जाते थे
और लोगों के सिर पर दोष मढ़े जाते थे
सभी प्रेस की आजादी पर थे ताले जड़े
सरकार के तेवर हो रहे थे और भी कड़े
आम लोगों का तो जीना ही मुहाल हुआ
बाहर ही नहीं घर पर भी बुरा हाल हुआ
नसबंदी के कठोर लक्ष्य निर्धारण ने तो
उस समय किया था सबसे बड़ा झमेला
शादीशुदा का क्या कुंवारे लड़कों ने भी
जबरन कराये नसबंदी का दुःख झेला
देश में तो चारों ओर ही उस समय जैसे
पूरा ही अफरा तफरी का माहौल था
विरोध में उठे सभी स्वरों को दबा कर
हर जगह सरकार का हल्ला बोल था
हर आये दिन कुछ अलग तरह से ही
सरकार चल रही थी अपनी नई चाल
शहर ही नहीं गाॅंवों में भी अब युवा
कर रहे थे विरोध में भूख हड़ताल
सरकार का विरोध करने वाले लोग
जी भर भर कर जेलों में ठूंसे गए थे
किसी कारण से बाहर बच गए लोग
दौड़ा-दौड़ा कर बेरहमी से कूटे गए थे
सरकार की इस कूटनीति चाल से तो
चारों ओर ही पूरा मचा था घमासान
एक-एक दिन काटना भी था मुश्किल
देश में लोकतंत्र का नहीं बचा था प्राण
अन्त में जेपी की मेहनत ही रंग लाई
छिड़ गई थी सरकार के विरुद्ध लड़ाई
चुनाव में जनता की अपार बहुमत से
दिल्ली में एक नई सरकार थी आई
उस समय जिनकी नीति के विरोध में
जो अपनी जान लगा दो दो हाथ लड़े
उतने सालों बाद वही लोग अब फिर
एक उम्मीद संग हैं उन्हीं के साथ खड़े