इब्तिदा-ए-इश्क़ (काव्य संग्रह:- सुलगते आँसू)
आपके दिल में पनाह लेंगे…!
हम भी अब दर्दे-दिल का मज़ा लेंगे…!!
होंठो पे नाम आपका सजा लेंगे…!
दिल में याद आपकी बसा लेंगे….!!
दुन्या-जहान की दौलत नहीं चाहिए…!
हम तो बस आपके साथ ज़िन्दगी की दुआ लेंगे…!!
जिसे देख कर दिल धड़कना गया भूल….!
उन्हें भला हम कैसे भुला पायेंगे…!!
दिल भी हाजिर है और जान भी है हाजिर…!
आप फरमाइये “साहिल” से क्या लेंगे…!!
©ए.आर. साहिल