*इन तीन पर कायम रहो*
सोच समझ कर देना तीन, जवाब सलाह और उधार।
नहीं तो मिलेगा पछतावा ही, घूम लो सारा संसार।
ये तीन चीजें सबको प्यारी, दौलत औरत और औलाद।
इनके लिए अडिग है आदमी, कोई करें कितनी फरियाद।
यह तीन चीज देती दर्द, गरीबी धोखा और यादें।
इनके लिए भूल जाते सब, किए हुए अपने वादे।
इन तीनों को कोई न चुराता, चरित्र विद्या और ज्ञान।
इनसे ही मिल पाता हमको, इज्जत आदर और सम्मान।
इन्हें कभी छोटा मत समझो, कर्ज बीमारी और फर्ज।
जीते जी मर जाता आदमी, ऐसा होता इनका मर्ज।
ये तीन कभी न करो, घमंड उम्मीद और अपमान।
अच्छे से सब अच्छा होगा, बुरा करो तो तुम परेशान।
इनका महत्व हमेशा समझो, रिश्ते दोस्त और परिवार।
यही मुश्किल में साथ देंगें, मानो तुम इनका आभार।
तीन पर हमेशा दया दिखाओ, असहाय गरीब और नारी।
साथ हमेशा इनका देना, मुश्किल में हो जब भारी।
तीन हमेशा है पूजनीय माता-पिता और गुरूजन।
जरूरत नहीं और किसी की, कर लो इनका तुम वन्दन।
तीन को कभी ना मुंह लगाओ, चुगलखोर दुष्ट दगाबाज।
व्यवहार इनका होता है ऐसा, न आते ये कभी बाज।
इन्हें सदैव छुपाकर रखो, औरत शौहरत और पैसा।
खुद अपना परिचय बताएं, इनका रुख है खुद ऐसा।
इन्हें सदैव मीठा रखो, भाषा आदत और व्यवहार।
समझो तुम पोयम का सार, कहता है दुष्यन्त कुमार।।