इन्सान बडा़ है
ना हिन्दू बडा़ है ना मुसलमान बडा़ है
इन्सानियत हो जिसमें वो इन्सान बडा़ है।
एक ही अल्लाह एक ही राम हैं,
एक ही दाता के अनेकों ही नाम हैं,
ना बातें बड़ी है ना .ख़ानदान बड़ा है,
पहचान बढ़े जिससे वो अरमान बड़ा है।
ना हिन्दू………………….।
माटि के इस तन में रक्त एक ही तो है,
मौलवी हो चाहे भक्त एक ही तो है,
ना गीता बड़ी है ना कुरान बड़ा है,
फरियाद होवे जिससे वो आह्वान बडा़ है।
ना हिन्दू…………………..।
आओ मिलके दूर करें मजहबी बातें,
साथ.साथ मिलके गुजारें दिन रातें,
ना बाधा बड़ी है ना तुफान बड़ा है,
डट के रहे जो सामने इन्सान बडा़ है।
ना हिन्दू…………………..।