इन्सानी मुटेशन ओमिक्रोंन
इन्सानी मुटेशन ओमिक्रोंन
डरता नही दुखता नही
निरंकुश हो गया है
इंसान इस जगत का
इंसानी चोले में छुपा
शैतान हो गया है
हवस हुई है हावी हदें
सब पार कर गया
शिक्षा को भूला
संस्कार खो गया
लज्जा को लाज आयी
व्यभिचार बढ़ गया है
नग्नता का व्यापार
उन्मुक्त हुआ अनर्गल
कलयुगी जगत का
रूप अब अधिकतम
भिभत्स हो गया
भिभत्स हो गया
किसको सुनाऊं
जाकर ब्यथा इस हृदय की
हर शख्स इस व्यथा का
शिकार हो गया है
डरता नही दुखता नही
निरंकुश हो गया है
इंसान इस जगत का
इंसानी चोले में छुपा
शैतान हो गया है
** एक अबोध बालक ?अरुण अतृप्त