इन्तज़ार का दर्द
है इन्तज़ार जब वो मुझसे
मिलने आएगा
आकर फिर मुझको वो मेरा
सुकून लौटाएगा।
भारी पड़ रहा अब एक एक
पल का इंतज़ार
कोई तो पूछो उसको कब तक
मुझे वो रुलाएगा।।
नहीं छोड़ी है उम्मीद मैंने
पाने की उसको
है जल्दी बहुत मेरी ज़िंदगी से
जाने की उसको।
आज नहीं तो कल पहचानेगी
वह प्यार मेरा
है अब मेरी भी ज़िद अपना
बनाने की उसको।।
आयेगी तो पलकों पर बिठाऊंगा
अपनी में उसको
हो जाए गर वो राज़ी तो बनाऊंगा
हमसफ़र में उसको।
जाने क्यों नहीं समझ पा रही
वो प्यार मेरा
कोई तो जाओ दोस्तों अब
समझाओ उसको।।
है दर्द मेरे दिल में जो, कोई तो
अब दिखाओ उसको
चाहते हो गर मेरी सलामती तो
अब मनाओ उसको
हद से ज़्यादा दर्द दे रहा है मुझे
अब ये इश्क उसका
मेरे दिल में छपी उसकी तस्वीर
कोई तो दिखाओ उसको।।