Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
1 Mar 2022 · 1 min read

*इन्टरनेट का पैक (बाल कविता)*

इन्टरनेट का पैक (बाल कविता)
■■■■■■■■■■■■■■■■
घर का बजट बनाने बैठे
घर के मुखिया दादा ,
बोले “आमदनी कम दिखती
खर्चे दिखते ज्यादा।

अब फिजूल के खर्च न होंगे
सब पर रोक लगेगी ,
होटल, शॉपिंग, मॉल घूमना
आदत हमें ठगेगी।

सब बतलाओ खर्च कौन से
घर में बहुत जरूरी”
बच्चे बोले”इन्टरनेट का
पैक आज मजबूरी ”
■■■■■■■■■■■■■■■■■■■
रचयिता : रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451

232 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ravi Prakash
View all
You may also like:
वही जो इश्क के अल्फाज़ ना समझ पाया
वही जो इश्क के अल्फाज़ ना समझ पाया
Shweta Soni
मेरी ज़िंदगी की हर खुली क़िताब पर वो रंग भर देता है,
मेरी ज़िंदगी की हर खुली क़िताब पर वो रंग भर देता है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
बाल कविता : काले बादल
बाल कविता : काले बादल
Rajesh Kumar Arjun
जीवन भर चलते रहे,
जीवन भर चलते रहे,
sushil sarna
फागुनी है हवा
फागुनी है हवा
surenderpal vaidya
#शेर
#शेर
*Author प्रणय प्रभात*
अकेलापन
अकेलापन
Neeraj Agarwal
चांद पर उतरा
चांद पर उतरा
Dr fauzia Naseem shad
माना जिंदगी चलने का नाम है
माना जिंदगी चलने का नाम है
Dheerja Sharma
ईश्वरीय समन्वय का अलौकिक नमूना है जीव शरीर, जो क्षिति, जल, प
ईश्वरीय समन्वय का अलौकिक नमूना है जीव शरीर, जो क्षिति, जल, प
Sanjay ' शून्य'
आरजू ओ का कारवां गुजरा।
आरजू ओ का कारवां गुजरा।
Sahil Ahmad
"रिश्ते की बुनियाद"
Dr. Kishan tandon kranti
करनी का फल
करनी का फल
Dr. Pradeep Kumar Sharma
3268.*पूर्णिका*
3268.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
शब्दों की अहमियत को कम मत आंकिये साहिब....
शब्दों की अहमियत को कम मत आंकिये साहिब....
Dr. Akhilesh Baghel "Akhil"
जीवनसाथी
जीवनसाथी
Rajni kapoor
আমায় নূপুর করে পরাও কন্যা দুই চরণে তোমার
আমায় নূপুর করে পরাও কন্যা দুই চরণে তোমার
Arghyadeep Chakraborty
कहीं पे पहुँचने के लिए,
कहीं पे पहुँचने के लिए,
शेखर सिंह
सफर या रास्ता
सफर या रास्ता
Manju Singh
कर दो बहाल पुरानी पेंशन
कर दो बहाल पुरानी पेंशन
gurudeenverma198
हम बेजान हैं।
हम बेजान हैं।
Taj Mohammad
लक्ष्य एक होता है,
लक्ष्य एक होता है,
नेताम आर सी
पहचान तो सबसे है हमारी,
पहचान तो सबसे है हमारी,
पूर्वार्थ
मंजिल तो  मिल जाने दो,
मंजिल तो मिल जाने दो,
Jay Dewangan
किस हक से जिंदा हुई
किस हक से जिंदा हुई
कवि दीपक बवेजा
सुध जरा इनकी भी ले लो ?
सुध जरा इनकी भी ले लो ?
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
*सीखा सब आकर यहीं, थोड़ा-थोड़ा ज्ञान (कुंडलिया)*
*सीखा सब आकर यहीं, थोड़ा-थोड़ा ज्ञान (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
आज की शाम।
आज की शाम।
Dr. Jitendra Kumar
💐प्रेम कौतुक-464💐
💐प्रेम कौतुक-464💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
कर ले प्यार
कर ले प्यार
Ashwani Kumar Jaiswal
Loading...