Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
25 Jan 2017 · 1 min read

इनायत (ग़ज़ल)

ग़ज़ल
—–
मुझपे इनायत जो तेरी बनी रहे।
मेरे जीने की हसरत बनी रहे।

तेरी इबादत ही है करम अपना।
ये हमेशा मेरी आदत बनी रहे।

पाएं रूतबा-ए-शौहरत हम भी।
ग़र जहॉ में शराफत बनी रहे।

आदत हो मेरी बस चाह तेरी।
ये दुनिया मेरी जन्नत बनी रहे।

मेरी जां भी तुम तुम्ही मौला!
दिल पे तेरी हुकूमत बनी रहे।

ख़िदमत को तेरी मेरे-ए-खुदा।
जिस्म नुमा इमारत बनी रहे।

सरस़ब्ज़ रहे ये बग़िया यूंही।
जो तेरी हमपे रहमत बनी रहे।

सुधा भारद्वाज
विकासनगर उत्तराखण्ड

1 Like · 1 Comment · 271 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
🙅सावधान🙅
🙅सावधान🙅
*प्रणय*
" फर्क "
Dr. Kishan tandon kranti
शेर-शायरी
शेर-शायरी
Sandeep Thakur
तू ने आवाज दी मुझको आना पड़ा
तू ने आवाज दी मुझको आना पड़ा
कृष्णकांत गुर्जर
यह जो तुम कानो मे खिचड़ी पकाते हो,
यह जो तुम कानो मे खिचड़ी पकाते हो,
Ashwini sharma
*** मुफ़लिसी ***
*** मुफ़लिसी ***
Chunnu Lal Gupta
आगे निकल जाना
आगे निकल जाना
surenderpal vaidya
बदरी
बदरी
Suryakant Dwivedi
नजरों से गिर जाते है,
नजरों से गिर जाते है,
Yogendra Chaturwedi
बिगड़े हुए मुकद्दर पर मुकदमा चलवा दो...
बिगड़े हुए मुकद्दर पर मुकदमा चलवा दो...
Niharika Verma
अश्रु (नील पदम् के दोहे)
अश्रु (नील पदम् के दोहे)
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
*बीमारी जो आई है, यह थोड़े दिन की बातें हैं (हिंदी गजल)*
*बीमारी जो आई है, यह थोड़े दिन की बातें हैं (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
मैं भी अपनी नींद लुटाऊं
मैं भी अपनी नींद लुटाऊं
करन ''केसरा''
4694.*पूर्णिका*
4694.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
फ़ितरत को ज़माने की, ये क्या हो गया है
फ़ितरत को ज़माने की, ये क्या हो गया है
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
प्यार विश्वाश है इसमें कोई वादा नहीं होता!
प्यार विश्वाश है इसमें कोई वादा नहीं होता!
Diwakar Mahto
मुनाफ़िक़ दोस्त उतना ही ख़तरनाक है
मुनाफ़िक़ दोस्त उतना ही ख़तरनाक है
अंसार एटवी
बैठा के पास पूंछ ले कोई हाल मेरा
बैठा के पास पूंछ ले कोई हाल मेरा
शिव प्रताप लोधी
अपने भाई के लिये, बहन मनाती दूज,
अपने भाई के लिये, बहन मनाती दूज,
पूर्वार्थ
🌸*पगडंडी *🌸
🌸*पगडंडी *🌸
Mahima shukla
होती है
होती है
©️ दामिनी नारायण सिंह
जिंदगी
जिंदगी
Neeraj Agarwal
শিবকে নিয়ে লেখা কবিতা
শিবকে নিয়ে লেখা কবিতা
Arghyadeep Chakraborty
ये जिन्दगी तुम्हारी
ये जिन्दगी तुम्हारी
VINOD CHAUHAN
शंकरलाल द्विवेदी द्वारा लिखित एक मुक्तक काव्य
शंकरलाल द्विवेदी द्वारा लिखित एक मुक्तक काव्य
Shankar lal Dwivedi (1941-81)
HAPPINESS!
HAPPINESS!
R. H. SRIDEVI
बूढ़ी माँ .....
बूढ़ी माँ .....
sushil sarna
ख़ामोश हर ज़ुबाँ पर
ख़ामोश हर ज़ुबाँ पर
Dr fauzia Naseem shad
महिलाएं अक्सर हर पल अपने सौंदर्यता ,कपड़े एवम् अपने द्वारा क
महिलाएं अक्सर हर पल अपने सौंदर्यता ,कपड़े एवम् अपने द्वारा क
Rj Anand Prajapati
"Let us harness the power of unity, innovation, and compassi
Rahul Singh
Loading...