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22 Jan 2021 · 1 min read

इनका क्या करें…?

जो दूसरों पर करते बेकार के कमेंट हैं
उनपे करो तो कहते ये नही डीसेंट है ,

खुद अपनी बदबूदार गिरेबाँँ में नही झाँकते हैं
दूसरे की सुगंधित गिरेबाँ भी हरदम आँकते हैं ,

आपको गरम भी तुरन्त पीने की सलाह देते हैं
अपना छाछ भी वो फूँक – फूँक कर पीते हैं ,

दूसरों की एक – एक बातों को याद रखते है
अपनी कही हर बात वो हमेशा भूला करते हैं ,

सामने हमारे बेहद हिमायती और सगे बनते हैं
मुड़ते ही तुरंत नफरत का खंजर घुसेड़ते हैं ,

ईश्वर तो सबकी चमड़ी का रंग अलग देते हैं
कुछ तो उसे भी गिरगिट की तरह बदल लेते हैं ,

बिना मतलब के वो किसी को नही पहचानते हैं
मतलब निकलने पर तो तलुये तक चाटते हैं ,

ज़बांं ऐसी की चाशनी भी मुँह छुपा लेती है
असर ऐसा की ज़हर को भी मात देती है ,

ऐसे लोग क्या हमें जीवन का अनुभव देते हैं
या इनसे हम जीवन भर का सबक लेते हैं ?

स्वरचित एवं मौलिक
( ममता सिंह देवा , 16/01/2020 )

Language: Hindi
1 Like · 6 Comments · 236 Views
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