इतिहास बाकी है
मेरी आंखों में देखो तुम अभी एक प्यास बाक़ी है ।
सभी मिल कर रहे यार अब यही एहसास बाक़ी है ।।
मैं महलों में रहूं बेश़क मगर यह जानता यारों ।
समय ऐसा भी आता है जहां बनवास बाक़ी है ।।
नहीं हमको उड़ा सकता कोई तूफ़ान भी तब तक ।
धरा पर जब तलक जिंदा फ़कत विश्वास बाक़ी है ।।
ग़रीबी में हुआ पैदा मगर हिम्मत नहीं हारी ।
उसी इंसान का यारों यहां इतिहास बाक़ी है ।।
सियासत ने जो घोला ‘देव’ विष हिंदू मुसलमां का।
अमन बात हो दिल में यही मधुमास बाक़ी है।।
—- कवि देवेंद्र शर्मा ‘देव’