इतनी खुबसुरत हो तुम
यकीन नहीं होता,
यकीन नहीं होता, की इतनी खुबसुरत हो तुम ।
इन्सान नहीं,
इन्सान नहीं, कोई देवी की मुरत हो तुम ।।
मेरी जिंदगी , मेरी चाहत हो तुम ।
मेरे बेचैन दिल की ,राहत हो तुम ।
अगर मैं इश्क हूँ , तो मेरी जज्बात हो तुम ।
मेरे तन्हाईयों में, अद्वितीय मुलाकात हो तुम ।।
यकीन नहीं ….
मेरी आँखों की शरारत हो तुम ।
मेरी अनुराग, मेरी इबादत हो तुम ।
क्या हो तुम मेरे संसार में, ये बताना है मुश्किल ।
बस इतना कह सकता हूँ मैं , मेरी मोहब्बत हो तुम ।
यकीन नहीं ….
मेरी कहानी के पन्नों की हसरत हो तुम ।
मेरे इन्हीं पन्नों की लत हो तुम ।
मेरे जिंदगी के लिफाफे की खत हो तुम ।
मेरे दिल में मेरी जान, शाश्वत हो तुम ।।
यकीन नहीं होता,
यकीन नहीं होता, की इतनी खुबसुरत हो तुम ।
इन्सान नहीं,
इन्सान नहीं, कोई देवी की मुरत हो तुम ।।
-दिवाकर महतो
बुण्डू, राँची, (झारखण्ड )