Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
27 Dec 2019 · 1 min read

इतनी खुबसुरत हो तुम

यकीन नहीं होता,
यकीन नहीं होता, की इतनी खुबसुरत हो तुम ।
इन्सान नहीं,
इन्सान नहीं, कोई देवी की मुरत हो तुम ।।

मेरी जिंदगी , मेरी चाहत हो तुम ।
मेरे बेचैन दिल की ,राहत हो तुम ।
अगर मैं इश्क हूँ , तो मेरी जज्बात हो तुम ।
मेरे तन्हाईयों में, अद्वितीय मुलाकात हो तुम ।।

यकीन नहीं ….

मेरी आँखों की शरारत हो तुम ।
मेरी अनुराग, मेरी इबादत हो तुम ।
क्या हो तुम मेरे संसार में, ये बताना है मुश्किल ।
बस इतना कह सकता हूँ मैं , मेरी मोहब्बत हो तुम ।

यकीन नहीं ….

मेरी कहानी के पन्नों की हसरत हो तुम ।
मेरे इन्हीं पन्नों की लत हो तुम ।
मेरे जिंदगी के लिफाफे की खत हो तुम ।
मेरे दिल में मेरी जान, शाश्वत हो तुम ।।

यकीन नहीं होता,
यकीन नहीं होता, की इतनी खुबसुरत हो तुम ।
इन्सान नहीं,
इन्सान नहीं, कोई देवी की मुरत हो तुम ।।

-दिवाकर महतो
बुण्डू, राँची, (झारखण्ड )

Language: Hindi
4 Likes · 5 Comments · 706 Views

You may also like these posts

फूल अब शबनम चाहते है।
फूल अब शबनम चाहते है।
Taj Mohammad
यक्षिणी-5
यक्षिणी-5
Dr MusafiR BaithA
#सागरलंघन शेष अभी
#सागरलंघन शेष अभी
वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी
"I am the Universe
Nikita Gupta
जनसंख्या का भार
जनसंख्या का भार
Vishnu Prasad 'panchotiya'
घरवार लुटा है मेरा
घरवार लुटा है मेरा
Kumar lalit
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
कुछ पल तेरे संग
कुछ पल तेरे संग
सुशील भारती
एक तरफ मां के नाम पर,
एक तरफ मां के नाम पर,
नेताम आर सी
ननिहाल
ननिहाल
Vibha Jain
गरीब की दिवाली।
गरीब की दिवाली।
Abhishek Soni
बलात्कार जैसे घृणित कार्य की दुर्भावना भारत जैसे देश में हाव
बलात्कार जैसे घृणित कार्य की दुर्भावना भारत जैसे देश में हाव
Rj Anand Prajapati
*बचकर रहिए ग्रीष्म से, शुरू नौतपा काल (कुंडलिया)*
*बचकर रहिए ग्रीष्म से, शुरू नौतपा काल (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
हिंदी दोहे - भविष्य
हिंदी दोहे - भविष्य
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
झूठों की महफिल सजी,
झूठों की महफिल सजी,
sushil sarna
अब कहां पहले जैसा बचपन
अब कहां पहले जैसा बचपन
Seema gupta,Alwar
दोष किसे दें
दोष किसे दें
डा. सूर्यनारायण पाण्डेय
23/95.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/95.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
माना दौलत है बलवान मगर, कीमत समय से ज्यादा नहीं होती
माना दौलत है बलवान मगर, कीमत समय से ज्यादा नहीं होती
पूर्वार्थ
- भूतकाल में जिसने मुझे ठुकराया वर्तमान में मेरी देख सफलता दौड़ी दौड़ी आ गई -
- भूतकाल में जिसने मुझे ठुकराया वर्तमान में मेरी देख सफलता दौड़ी दौड़ी आ गई -
bharat gehlot
उम्मीद की आँखों से अगर देख रहे हो,
उम्मीद की आँखों से अगर देख रहे हो,
Shweta Soni
तुम प्रेम सदा सबसे करना ।
तुम प्रेम सदा सबसे करना ।
लक्ष्मी सिंह
मुक्तक
मुक्तक
Neelofar Khan
सृष्टि की उत्पत्ति
सृष्टि की उत्पत्ति
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
रक्षा बंधन का पावन त्योहार जब आता है,
रक्षा बंधन का पावन त्योहार जब आता है,
Ajit Kumar "Karn"
सपने
सपने
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
दोहा
दोहा
गुमनाम 'बाबा'
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
#चलते_चलते
#चलते_चलते
*प्रणय*
एक पल में जिंदगी तू क्या से क्या बना दिया।
एक पल में जिंदगी तू क्या से क्या बना दिया।
Phool gufran
Loading...