– इतना ही समय लिखा था कुदरत ने मेरे कथित अपनो के साथ –
– इतना ही समय लिखा था कुदरत ने मेरे कथित अपनो के साथ –
विश्वास करने पर मुझे मिला विश्वासघात,
आज की दुनिया है स्वार्थी में नही सका पहचान,
अपनो की खातिर त्याग दिया जो मेने सुख समृद्धि ऐश्वर्य वैभव का त्याग,
आज मुझको ही दिखा रहे वे अपनी औकात,
मेरी औकात है धन बल छीना उन्होंने मेरे पास,
कहकर भविष्य में तेरे कार्य होने पर देंगे हम तेरा साथ ,
आया जब वक्त साथ देने का सब हुए वचनों से आजाद,
आज मेरी यह बदहाली पर वे मन ही मन करे अटहास,
समय बडा बलवान है वे इस सत्य से है अनजान,
आज अगर आया अपनो की बदौलत समय जो मेरा खराब,
समय का चक्र जो घूमकर देगा मेरा साथ,
जीत लूंगा में एक दिन यह जहां,
क्योंकि लोक व्यवहार है मेरे पास,
में अपने मन को आश्वत करू की शायद मेरा इतना ही समय लिखा था कुदरत ने मेरे कथित अपनो के साथ,
✍️ भरत गहलोत
जालोर राजस्थान