इतना बवाल मचाएं हो के ये मेरा हिंदुस्थान है
इतना बवाल मचाएं हो के ये मेरा हिंदुस्थान है
अगर यहाँ तेरी हवेली है तो मेरा भी मकान है
और क्या क्या सबुत चाहिये मेरे इक वजूद के
सरकारी दस्तावेज़ पे दस उँगलियों के निशान है
तुमने सुने होंगे या इतिहास के पन्नो में पढ़े होंगे
एक जंग की लिखी गई मेरे पुरखों की दास्तान है
कभी नवाबो के चौकट में झुके होंगे सर तुम्हारे
कई सर को उठाने के हुन्नर में बनी ये पहचान है..
मुहब्बत में माजरा सुलझा भी लेंगे ये उलझन क्यूँ..?
इस मिट्टी के खातिर सब मंजूर ये मेरी भी तो जान है
©® – ‘अशांत’ शेखर
15/04/2023