इतना झूठा तो मैं इंसान नहीं…!!
अच्छा हुआ अकेले ही रहे हम,
किसी की याद में रोना, किसी के प्यार में खोना
ऐसा अपना तो अंदाज़ नहीं…!
शाहिल कम पड़ जायेगे इतने गम है मेरे पास,
अश्कों में बहा दू इन्हे.. इतना बुजदिल तो मैं नहीं…!
डूबना हीं होता गर जिंदगी के सफर में,
तो ये गम -ऐ-शौख-आलम इतने कम तो नहीं…!
अच्छा हीं होता कोई पूछता न हाल किसी का,
और कैसे हो…? ये पूछ कर कुछ चुभता तो नहीं…!
ऐ खुदा… थक चुका हूँ इम्तेहान देते -देते,
कोई और तलाश कर ले अपने तजुर्बो के लिए,
तेरे इस जहां में… मैं अकेला तो इंसान नहीं..!
मुझे क्यूँ लग रहा कि छोड़ जाऊ इस जहां को,
इतनी जल्दी मैं थक के हार जाऊ, इतना तो मैं परेशान नहीं…!
बेक़सूर होकर भी, क्यूँ कसूरवार सा लगता हूँ मैं,
हर कोई ठोकर मार के चला जाये, इतना तो मैं बेकार नहीं…!
मैं खुद के मन में झांक के पूछता रहता हूँ,
खामोश रहता हूँ सौ दफ़ा, इससे किसी को नुकसान तो नहीं..!
कह देता हूँ कई बाते बिंदास कई दफ़ा,
हर बात लोगो को पसंद आये, यॉर इतना झूठा तो मैं इंसान नहीं…!!
❤Love Ravi❤