इतना खुश कभी ना देखा…
तुझ पर ही मरता हूं
तुझसे ही जी उठता हूं
अब ये बोझ सहा नहीं जाता
काश तु अब मुझे मिल जाता
दिल खोल अपनी बात सुनाता
दिल के सारे जख्म दिखाता
सोचा बस देखना मुझको
थी बस तेरी आखरी चाहत
तेरी खुशी की खातिर
मैं उस पार चला आया
तू वही थी मैं वहीं था
पर थोड़ा सा भरमाया
सोचा मैंने कुछ और था
समझ में मेरे कुछ आया
इतना खुश कभी ना देखा
ऐसा उसमें है पाया!!
रंजीत घोसी