“इज़्ज़त”
“इज़्ज़त”
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इज़्ज़त शब्द का महत्व है ख़ासा ,
यह सभ्यजनों का वजन है बढ़ाता ,
सबको इक नई पहचान है दिलाता !
संग में कितने सम्मान भी दिलाता !!
समाज में काफ़ी संतुलन यह बनाता ,
इज़्ज़त जाने का भय सबको ही रहता ,
जिससे मनुज संभल-संभल के है चलता !
अनैतिकता से वो कोसों दूर ही है रहता !!
इज़्ज़त रूपी हथियार खोने के भय से ,
लोग प्रायः कदम फूंक-फूंक कर रखते ,
सच पूछो तो ये इज़्ज़त ही समाज को !
काफ़ी हद तक अपराधमुक्त हैं करते !!
गर इज़्ज़त की चिंता ना होती किसी को ,
लोग बेफ़िक्री से अनैतिक कार्य कर जाते ,
ये सच है कि जिसके पास इज़्ज़त ना होती !
वे तो बेख़ौफ़ होकर ग़लत कार्य करते जाते !!
माना कि कानून का भय होता है सभी को ,
पर कानून के रखवाले सदैव साथ न होते ,
ये इज़्ज़त ही है जो हर पल ही साथ होती !
स्वत: ये कानून की रखवाली करती जाती !!
इज़्ज़त के बिना कोई इंसान कुछ भी नहीं ,
किसी कार्यक्रम में सम्मान के काबिल नहीं ,
उसे हर मोड़ पे अपमान के घूंट पीने पड़ते !
ज़िंदगी में कभी वे खुल के नहीं जी सकते !!
इज़्ज़त ही है जो सबको सुसंस्कृत बनाता ,
यह जीवन में सबको इक मुकाम है दिलाता ,
इसके सहारे मानव नई ऊंचाइयाॅं छूता जाता !
सभ्य समाज में इज़्ज़तदार का दर्जा है दिलाता !!
सभी अपने बेशकीमती इज़्ज़त संभाल के रखें ,
जाने-अनजाने कभी किसी मोड़ पे गॅंवा न बैठें ,
सदा मान-सम्मान, आदर-सत्कार कराती है ये !
सदाचार, सुसंस्कार के संग चलना सिखाती है ये !!
स्वरचित एवं मौलिक ।
©® अजित कुमार “कर्ण” ✍️✍️
किशनगंज ( बिहार )
दिनांक : 15 दिसंबर, 2021.
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