इज़हार ए मोहब्बत
इज़हार ए मोहब्बत तुम से है करना।
खामोशियों में कैसे अल्फाज़ भरना।
हमें भी रोजगार अब मिल गया है
काम है अब सिर्फ,बस तुम पे मरना।
इश्क करने से ही समझ में आता है
खुशबूओं का जैसे दूर तक बिखरना।
हद ए दीवानगी कैसे हम समझायें
आग के दरिया से है बस गुजरना।
निगाहें मिलाने से डर अभी है लगता।
झील सी आंखों में है कैसे उतरना।
सुरिंदर कौर