इजहार बने
मुस्कुराहट त’अल्लुक़ ए इजहार बने
मुस्कुराहट त’अल्लुक़ ए इकरार बने
तु ख़ुशी – ख़ुशी देख सके हर ख्वाब
शफ़क रूह तिरे चाहत का बाजार बने
तिरे गेसुओं के साये में पले बढ़े रहे
बहिशत ए लम्हा हसीन दिलदार बने
बह्र रदीफ़ क़वाफ़ी पढना हुआ फुजूल
तूने छूआ बस और कई अश’आर बने
माँगटीका गज़रा से क्या लेना देना तुम्हें
तिरी इक बिंदिया हि सौलह श्रृंगार बने
महक उठे तेरे आने से फिजा लड़की
तिरे उल्फत में ज़र्रा ज़र्रा गुलजा़र बने