इजहार ए इश्क
इजहार ए इश्क करने में दिल घबराता है ।
क्या करूं ,तुम पे बहुत प्यार आता है ।।
तुम रूठ के ना चली जाओ, दिल बिखर जाता है ।
क्या करूं ,तुम पे बहुत प्यार आता है ।।
सोचता हूं बोल दूं ,पर तेरी निगाहों से दिल डर जाता है ।
क्या करूं तुम पे बहुत प्यार आता है ।।
सुबह शाम हर पल तुझसे इश्क करूं ,यह दिल चाहता है ।
क्या करूं ,तुम पे बहुत प्यार आता है।।
बोलूं या ना बोलूं इस उलझन में ,दिल गोते खाता है।
क्या करूं ,तुम पे बहुत प्यार आता है।।
मोहब्बत के रंग में जहाँ मेरा, तेरी मुस्कुराहट से हो जाता हे ।
क्या करूं ,तुम पे बहुत प्यार आता है।।
तू सामने ना होते हुए भी, मुझे हर जगह दिख जाता है ।
क्या करूं ,तुम पे बहुत प्यार आता है।।
सात जन्मों तक तुझे मेरे नाम लिख लू ,ये दिल गाता है।
क्या करूं ,तुम पे बहुत प्यार आता है।।
अब कह ही दूंगा ,रब मेरे साथ नजर आता है ।
क्या करूं ,तुम पे बहुत प्यार आता है।।
हर्ष मालवीय
बीकॉम कंप्यूटर सेकंड ईयर
शासकीय हमीदिया कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय