Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
16 May 2021 · 6 min read

इजराइल और फिलिस्तीन समस्या

इजराइल फिलिस्तीन समस्या की जड़ आधुनिक साम्राज्यवाद और प्राचीन कालीन धार्मिक उद्भवों की नींव में ढूंढी जा सकती है । इसलिए यह समस्या भले ही 21 वी शदी के सभ्य समाज के लिए अंतहीन समस्या लग रही हो किन्तु इसकी जड़ें पुरातन समाज से जुड़ी हुई है।
इजराइल , इस देश का जन्म भौगोलिक आधार पर ना होकर धार्मिक आधार पर हुआ था। माना जाता है सन्त अब्राहम ने इसी स्थान पर अपने पुत्र इसाक की बलि परमात्मा को दी थी किन्तु इसके बदले परमात्मा ने एक भेड़ की बलि ली। और फिर सन्त अब्राहम की संतानों में ही उनकी एक सन्तान डेविड था ,जिसका दूसरा नाम इजराइल भी था इसी के नाम पर इस स्थान का नाम इजराइल रखा गया।
सन्त अब्राहम ही यहूदी,ईसाई और इस्लाम तीनो धर्मो प्रथम सन्त या पैगम्बर हुए। सन्त अब्राहम की दो पत्नियों से दो पुत्र पैदा हुआ जिनमे पहली पत्नी से इस्माइल और दूसरी पत्नी से इसाक पैदा हुआ।
इस्माइल से इस्लाम का उदय और इसाक से यहूदी और ईसाई का उदय माना जाता है।
सर्वप्रथम यहुदियों का उदय हुआ और उनकी मान्यताओ के खिलाफ ईसाई धार्मिक गुरु ईसा मशीह का जन्म हुआ और फिर यहूदी एवम ईसाई मान्यताओं के खिलाफ इस्लाम धर्म के पैगम्बर मोहम्मद पैगम्बर का उदय हुआ जिन्होंने इस्लाम धर्म की नींव रखी।
अतः इन तीनो धर्मो के आदि पुरुष संत अब्राहम ही माने जाते है जिनके प्रति तीनो धर्मो की आस्था भिन्न भिन्न है। और यही स्थिति इजराइल के सबसे पवित्र स्थान जेरुसलम के माउंट की है।
यहूदियों का मानना है जेरुसलम में सबसे पहले ,प्रलय के बाद, एडम ने यही पर सेब खाकर इंसानी दुनिया की शुरुआत की और सन्त अब्राहम ने इसी माउंट पर ज्ञान प्राप्त किया और फिर ईस्वर के लिए अपने पुत्र इसाक की बलि दी।साथ ही अब्राहम के वंशजों में से एक किंग डेविड ने इसी स्थान पर यहूदियों के प्रथम मंदिर बनबाया जिसे बेबीलोनियन ने तोड़ दिया और दूसरा मंदिर बनबाया गया जिसे रोमन साम्राज्य द्वारा मंदिर को तोड़ दिया गया । उसी दूसरे मंदिर की एक दीवाल बची हुई है जिसे यहुदियों का सबसे प्रवित्र धार्मिक स्थल वेस्टर्न वाल कहा जाता है ।
ईसाइयों की मान्यता है कि इस माउंट पर ही ईसा मशीह को क्रुसिफाई किया गया था और फिर इसी स्थान पर ही उन्होंने दोबारा जीवित होकर अपने भक्तों को दर्शन दिए और प्रवचन देकर ईसाई धर्म के प्रसार की आज्ञा दी, इसलिए इस थान पर ईसाइयों का चर्च ऑफ स्क्रोलपचर है, जो उनके लिए बहुत पवित्र है।
जब इस्लाम धर्म का उदय हुआ तो यह माना जाता है कि मोहम्मद पैगम्बर एक उड़ते हुए घोड़े पर यहाँ आये और फिर उसी स्थान से अल्लाह के पास गए और अल्लाह ने जो ज्ञान उनको दिया उस ज्ञान के आधार पर इस्लाम धर्म की नींव पड़ी । अतः तुर्की के इस्लामिक बिजेंटियन साम्राज्य के उदय के बाद उन्होंने यहाँ पर अल अक्सा मस्जिद का निर्माण करा दिया , जो इस्लामी जगत का तीसरा सबसे पवित्र स्थल है काबा, मदीना के बाद। अतः लगभग 30-35 एकड़ का स्थान माउंट टेम्पल इन तीनो धर्मो की संयुक्त पवित्र स्थली है अर्थात यहुदियों का वेस्टर्न बाल,ईसाइयों के चर्च और इस्लाम का अल अक्सा मस्जिद।
जहाँ इस्लाम धर्म यहूदी और ईसाई के सभी पैगम्बरों और पवित्र ग्रंथो को, मोहम्मद पैगम्बर और कुरान की तरह पवित्र मानते हैं वही यहूदी ईसा मसीह को मान्यता नही देते और ईसाई एवम यहूदी मोहम्मद पैगम्बर को मान्यता नही देते।
इस धर्मिक विरोध को राजनीतिक विरोध का आधार दिया ब्रिटेन की साम्राज्यवादी नीति ने। वास्तव में सन1900 के वाद से ही विस्व के भिन्न भिन्न देशों में स्थित यहूदी अपने लिए एक अलग देश की मांग करने लगे थे । बेजेंटियन साम्राज्यवाद के उदय के वाद यहूदी इजराइल को छोड़कर यूरोप अमेरिका एवम भारत जैसे देशों में बस गए थे जिसमें सबसे ज्यादा तादात यूरोप में थी।
दुतीय विस्व युद्ध के समय जर्मन तानाशाह द्वारा सबसे ज्यादा अपने देश के यहूदियों के नरसंहार किया गया, जिसके पीछे उज़के अपने तर्क थे। और जब दुतीय विस्व युध्द में अमेरिका,ब्रिटेन और फ्रांस की विजय हुई तो उन्होंने यहूदियों के लिए अलग से एक देश की मांग स्वीकार कर ली। जिसके लिए उन्होंने ब्रिटेन के उपनिवेश फिलिस्तीन को चुना जहाँ पर इस्लाम के उदय के वाद से ही फिलिस्तीनी मुसलामान रह रहे थे अर्थात लगभर 500 -600 सालों से। दूसरी तरफ यहूदी भी यही चाहते थे कि उनको उनके पूर्वजों की जमीन ही रहने के लिए मिल जाय।
अतः इन मित्र देशों द्वारा संयुक्त राष्ट्र संघ के माध्यम से फिलिस्तीनी मुसलमानो से बिना विचार विमर्श किए फिलिस्तीन का 44% हिस्सा यहुदियों को दे दिया और 48% हिस्सा फिलिस्तीनों के पास छोड़ा और शेष 8% हिस्सा जिसपर जेरुसलम आदि का स्थान है उप पर अपना अधिकार रखा और फिर 14मई1948 को यह प्रावधान लागू कर दिया। सबसे बड़ी बात यह थी कि ब्रिटेन जो दुनिया को सभ्यता सिखाने का दावा करता रहा उसने ऐसा असभ्य तरीके से ये विभाजन किया कि आज तक इसकी चीख-पुकारें सुनी जा सकती है। इसका विभाजन बहुत ही बेतरतीब तरीके से किया जैसे भारत का पाक का विभाजन किया जिसमें आधे से ज्यादा पाक भारत के उत्तर पश्चिम में और शी पाक का हिस्सा आज का बंगलादेश था। यह तो सुक्र है की प्रथम आयरन लेडी प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का जिन्होंने इस नासूर को 1972 में ही समाप्त कर दिया।
जैसे ही 14 मई1948 को फिलिस्तीन के ऊपर इजराइल देश को थोपा गया तभी से यह युद्ध प्रारम्भ और गया और लगातार चला आ रहा है, कभी ज्यादा कभी कम।
प्रारम्भ में तो इजराइल ने सभी पश्चिमी देशों के माध्यम से सभी इस्लामिक देशो को एक साथ परास्त किया और अपने आप को तकनीकी से अत्यधिक मजबूत कर धीरे धीरे 44% हिस्से को 88% प्रतिशत में तब्दील कर लिया और फिलिस्तीन जिसे 48% हिस्सा मिला था वह मात्र 12 प्रतिशत पश्चिम में गाजा पट्टी और पूर्व में वेस्ट बैंक में सिमट कर रह गया है।
भले ही इस्लाम विरोधी लोग इसे इजराइल की बड्डत बताएँ किन्तु यह असहयोग और दादागिरी ही ना खत्म होने बाली लडाई बनता जा रहा है। क्योकि जब हिटलर ने भी कुछ इसी तरह ही यहुदियों पर जुर्म ढाए थे निस्के लिए पूरा विस्व यहुदियों के प्रति हमदर्दी रखता है।
वर्तमान झगड़ा भी इस समस्या की जड़ है। रमजान के महीने में जब मिस्लमान जमाज अदा कर रहे थे तब इजराइली सैनिकी वहां पर चले आये जिसका विरोध उन्होंने पत्थर फैंक कर दिया जिस विरोध को कुचलने के लिए इजरायल के सैनिकों ने उनके पवित्र स्थान जूतों से जाकर मार धार की जिसमे एक या दो फिलिस्तीनी मारे गए जिसके बदले पश्चिमी तट पर स्थित गाजा पट्टी में स्थित हमास आतंकी समूह द्वारा इजराइल पर राकेट दागे गए जिसमे एक इजराल के व्यक्ति की मौत हो गयी और नुकसान हुआ।
अब हमास के इसी करतूत का बदला इजराइल लगातार गाजा पट्टी पर रॉकेट दाग कर ले रहा है। जिसमे वो ना महिला ने बच्चे ना आम जनता और ना ही किसी सरकारी संस्थान को देख रहा बल्कि हमास आतंकवाद के नाम पर समूचे गाजा पट्टी को नेस्तनाबूद करने पर अड़ा हुआ है।
भारत की समस्या:- भारत सरकार के लिए मुख्य समस्या है विस्व के अन्य देशों की भांति वह खुलकर एक देश को समर्थन नही कर पाने की। विस्व के अन्य देशों ने अपने अपने हितों के अनुसार इजराइल या फिलिस्तीन का समर्थन किया है वही भारत सरकार यही कर नही पा रही है। क्योकि इजराइल से भारत जहाँ दूसरे नम्बर पर हथियारों की आपूर्ति करता है वहीं इस्लामी देशों से भारत को कच्चा तेल,व्यापार और सबसे ज्यादा रोजगार भी मिलता है। अतः वर्तमान सरकार के सामने एक तरफ कुआ तो एक तरफ खाई जैसी स्थिति है । किन्तु वर्तमान सरकार भले ही भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित नेहरू को कितना भी गाली दे आखिर में उन्हीं के द्वारा बनाये रास्ते ने ही वर्तमान सरकार को इस दुविधा से बचाया है अर्थात गट निपेक्ष नीति(NAM) । इसी नीति का पालन करते हुए सरकार द्वारा किसी भी देश का समर्थन ना करके दोनो ही देशो को संतुलित सन्देश देते हुए शांति स्थापना की अपील की है।

Language: Hindi
Tag: लेख
3 Likes · 2 Comments · 265 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
View all
You may also like:
প্রফুল্ল হৃদয় এবং হাস্যোজ্জ্বল চেহারা
প্রফুল্ল হৃদয় এবং হাস্যোজ্জ্বল চেহারা
Sakhawat Jisan
प्रभु -कृपा
प्रभु -कृपा
Dr. Upasana Pandey
रमेशराज के नवगीत
रमेशराज के नवगीत
कवि रमेशराज
🌸 आने वाला वक़्त 🌸
🌸 आने वाला वक़्त 🌸
Mahima shukla
लोकतंत्र की आड़ में तानाशाही ?
लोकतंत्र की आड़ में तानाशाही ?
Shyam Sundar Subramanian
* छलक रहा घट *
* छलक रहा घट *
surenderpal vaidya
उहे समय बा ।
उहे समय बा ।
Otteri Selvakumar
*****रामलला*****
*****रामलला*****
Kavita Chouhan
" गुरुर "
Dr. Kishan tandon kranti
"" *हाय रे....* *गर्मी* ""
सुनीलानंद महंत
ज़िद से भरी हर मुसीबत का सामना किया है,
ज़िद से भरी हर मुसीबत का सामना किया है,
Kanchan Alok Malu
हर लम्हे में
हर लम्हे में
Sangeeta Beniwal
किसी भी रूप में ढ़ालो ढ़लेगा प्यार से झुककर
किसी भी रूप में ढ़ालो ढ़लेगा प्यार से झुककर
आर.एस. 'प्रीतम'
'एक शहादत ये भी’
'एक शहादत ये भी’
Kshma Urmila
मिथिला बनाम तिरहुत।
मिथिला बनाम तिरहुत।
Acharya Rama Nand Mandal
हमारे जमाने में साइकिल तीन चरणों में सीखी जाती थी ,
हमारे जमाने में साइकिल तीन चरणों में सीखी जाती थी ,
Rituraj shivem verma
🙏 *गुरु चरणों की धूल*🙏
🙏 *गुरु चरणों की धूल*🙏
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
क़यामत ही आई वो आकर मिला है
क़यामत ही आई वो आकर मिला है
Shweta Soni
Thoughts are not
Thoughts are not
DrLakshman Jha Parimal
गंगा- सेवा के दस दिन (सातवां दिन)
गंगा- सेवा के दस दिन (सातवां दिन)
Kaushal Kishor Bhatt
#गहिरो_संदेश (#नेपाली_लघुकथा)
#गहिरो_संदेश (#नेपाली_लघुकथा)
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
दोस्त
दोस्त
Neeraj Agarwal
आप काम करते हैं ये महत्वपूर्ण नहीं है, आप काम करने वक्त कितन
आप काम करते हैं ये महत्वपूर्ण नहीं है, आप काम करने वक्त कितन
Ravikesh Jha
■हरियाणा■
■हरियाणा■
*प्रणय*
पुण्यतिथि विशेष :/ विवेकानंद
पुण्यतिथि विशेष :/ विवेकानंद
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
जो खत हीर को रांझा जैसे न होंगे।
जो खत हीर को रांझा जैसे न होंगे।
सत्य कुमार प्रेमी
दर जो आली-मकाम होता है
दर जो आली-मकाम होता है
Anis Shah
दर्द इन्सान को
दर्द इन्सान को
हिमांशु Kulshrestha
4362.*पूर्णिका*
4362.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
भावात्मक
भावात्मक
Surya Barman
Loading...