बदल देते हैं ये माहौल, पाकर चंद नोटों को,
ज़िन्दगी की बोझ यूँ ही उठाते रहेंगे हम,
kanhauli estate - Ranjeet Kumar Shukla
लोग कहते ही दो दिन की है ,
🥀 *अज्ञानी की कलम*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
फूल की प्रेरणा खुशबू और मुस्कुराना हैं।
बंधन खुलने दो(An Erotic Poem)
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
*धरती के सागर चरण, गिरि हैं शीश समान (कुंडलिया)*
"तुम्हारे शिकवों का अंत चाहता हूँ
तुमने की दग़ा - इत्तिहाम हमारे नाम कर दिया
मन चाहे कुछ कहना .. .. !!
आगामी चुनाव की रणनीति (व्यंग्य)
काव्य-अनुभव और काव्य-अनुभूति
**** मानव जन धरती पर खेल खिलौना ****