इक साँवली सी लड़की….
इक साँवली से लड़की,….2
खोली है दिल की खिड़की ।
दिल में बसी जो सूरत…….चाहत मुझे है जिसकी…..
मैं क़भी न सोच पाया,उसके नयनों की भाषा,
कब उसने मुझको रिझाया,रहती थी मिलने की आशा ।
कितना उसे भुलाऊँ…2
आती है याद उसकी…….इक साँवली सी लड़की….2
एक दिन उसको यूँ देखा, सुबह-सुहाने मौसम में,
पलकें न झपकी देखकर, था मैं उस दिन इश्क़ में ।
करता हूँ मैं गुज़ारिश…2
आये उसे भी हिचकी…..इक साँवली सी लड़की….2
प्यार उससे हो गया, उसका मुझे तो पता नहीं,
वो भी मुझसे प्यार करेगी, मैं उसका हूँ कोई गैर नहीं ।
रहती हैं हर समय अब….2
तस्वीरें दिल में उसकी…..इक साँवली सी लड़की….2
दिल में है अब तमन्ना, जीना-मरना है साथ उसके,
स्वीकार वो भी कर ले, जियें हम दोस्त बनके ।
फ़िरती है बेपरवाह वो…..2
हिरनी सी चाल उसकी…..इक साँवली सी लड़की…2