इक लड़का
वो चुप सा बैठा इक लड़का
डूबे से सब अपनी बातों कहानियों में
किसी से कुछ न कहता अनमना सा दिखता
इक लड़का
खोया है कुछ बीती बातों में अनाम सी यादों में
खुद के भीतर ही सिमटा सा इक लड़का
लेकर सपने नए छोड़ आया गांव अपना
अनजानी सी नजरों से देखता
डरता सहमता इक लड़का
सजाकर चेहरे पर मुस्कान हल्की सी
कुछ किस्से बतलाता
भीड़ में भी अलग सा दिख जाता इक लड़का
होकर खड़ा मनमाने ढ़ंग से
कुछ शरमाता कुछ सकुचाता
सबसे निराला वो इक लड़का।