इक रोशनी की तलाश में
1. बुझे बुझे से जी रहे है जिंदगी
इक रौशनी की तलाश में।
2.कुछ भी बहाने से हो बातें मुलाकाते
ये तय है इश्क बढ़ता ही जाता है।
3.गुजर रही है तमाम जिंदगी
रोजी रोटी की जुगाड़ में
खुद से मिलने का
अब वक्त कहा मिलता है।
बृन्दावन बैरागी”कृष्णा”