इक मुहब्बत भरी कर नजर
इक मुहब्बत भरी कर नजर
आज स्वीकार की दे खबर
यह जहाँ छोड़ दोनों अभी
अब चले हम बसेंगे शहर
जिन्दगी आज तन्हा मिरी
हो गया प्यार अब इस कदर
देख राहें हसीं हो रही
हो रही जो सरल हर डगर
प्रेम होगा कभी जब अलग
तब मचेगा किसी घर गदर
रूठ जाता चंचल दिल कभी
धड़कने धड़कती बेअसर
सब मुहब्बत पे कुर्बान है
हर दवा हो रही बेअसर
साथ दोनों रहेगे हम तभी
जब दिलों में बसाये नगर
जब रहोगे मिरे साथ में
फिर न कोई अगर औ मगर