इक मुद्दत से चल रहे है।
ज़िंदगी जाने कैसा तेरा ये सफर है।
इक मुद्दत से चल रहे है मंजिल का ना पता है।।1।।
इन लहरों ने कर ली हमसे दुश्मनी।
कबसे तूफा से लड़ रहे है साहिल ना मिला है।।2।।
चलो अब एक दूसरे को भूलते है।
इस दुनियां में इश्क कभी कामिल ना हुआ है।।3।।
चाहतों से दिल बड़ा डरने लगा है।
तुम्हारे जैसा बेवफ़ा हमने ज़ालिम ना देखा है।।4।।
बड़ी शिफा है इसकी तिलावत में।
कुरआन के जैसा कुछ भी नाजिल ना हुआ है।।5।।
ना पूछ मुझसे हाल मेरे इश्क का।
बयां दर्द ए दिल का कोई आलिम ना हुआ है।।6।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ