इक महकते गुल ने गुलाब भेजा है…
इक महकते गुल ने गुलाब भेजा है
एक दो नहीं पूरा सैलाब भेजा है
हर शख़्स बस उसकी मिसाल देता है
क्या खूब रब ने देकर शबाब भेजा है
इस तरह खींची हैं तस्वीरें अपनी
तस्वीर में जैसे महताब भेजा है
लबरेज़ हैं आँखें ख्वाबों से उसकी
ईमान लूट जाए वो ख़्वाब भेजा है
उसकी अदाएं जुदा बहुत हर एक से
दिल खोल के हाये गिर्दाब भेजा है
चल इन सितारों सा चमक ए दिल मेरे
तुझको चुना ओ इंतिखाब भेजा है
जज़्बात हैं उल्फ़त में कुछ सिमटे से
धड़कते दिल से यूँ अदाब भेजा है
—–सुरेश सांगवान’सरु’