इक नारी हूं मैं
।।इक नारी हूं मैं।।
खुशकिस्मत हूं मैं
कि एक नारी हूं मैं,
इस सृष्टि के कर्ता धर्ता की ,
आभारी हूं मैं,
मुझे नारी जन्म मिला ,
कंधो पर ढेरों जिम्मेदारियां उठाने को,
ईश्वर को विश्वाश था मुझपर,
निभाऊंगी मैं सभी कर्तव्य बखूबी
दो दो कुल का नाम रौशन करने को,
एक बेटी से ले कर बहु का,
एक बहु से ले कर सास का,
एक पत्नी का,
एक माँ का,
एक भाभी का,
एक ननद का ,
सभी रिश्तों का मान बढ़ाऊंगी मैं,
हर मुसीबत का डर के सामना करूंगी,
परिवार पर आंच तक न आने दूंगी,
चट्टान सी अडिग रहूंगी
नदी सी निर्मल,और
पवन सी शीतल रहूंगी,
परिवार के लिए वट वृक्ष बन कर सभी को ठंडी छांव दूंगी,
आई थी तो अकेले ही आई थी इस जहां में,
पर
जाऊंगी तो सभी के दिलों पर राज करूंगी,
एक नारी हूं मैं,
ईश्वर के उपवन की सबसे सुंदर क्यारी हूं मैं।
मधु मूंधडा मल्ल
21/1/2022