इक चांद अकेला ।
एक चाँद अकेला है,
बादल ने घेरा है,
रात की बात चली
अभी दूर सबेरा है,
सुंदरता पर पहरा,
लोभी का डेरा है,
बंदिश इतनी फिर भी
चांदनी बिखेरा है ।
एक चाँद अकेला है,
बादल ने घेरा है,
नीरव रजनी सोचे
प्रियतम से बात करे
चकोर देख चहके,
प्रियतम का फेरा है
तभी नजर पड़ी घन की
डाला यूँ डेरा है ।
एक चाँद अकेला है,
बादल ने घेरा है।
अभी दूर मंजिले है
अभी दूर सबेरा है ।
इक चांद अकेला है
तारों का मेला है, ।।
विन्ध्य प्रकाश मिश्र विप्र
नरई संग्रामगढ प्रतापगढ उ प्र
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