इक घर अपना भी बने प्यारा,,,,
26.07.16
इक घर अपना भी बने प्यारा,,,
इक तिनका आज फिर लायी हूँ
नीड़ फिर नया इक बनाई हूँ
यादों का तिनका एक भी नहीं
न ही कोई तिनका है आशाओं का
आज और आज के ही सारे तिनके
चुन चुन कर बामुश्किल लायी हूँ
नीड़ फिर नया इक बनाई हूँ ,,,,
*
सपनों का सूरज यहाँ नहीं चमकता
न ही आता चंदा इरादों की चांदनी लिए
माँ की ममता का दीप बस जलता यहाँ
ख़ुशी का ही हरसूँ उजियारा खिले
दुःख का अँधेरा यहाँ अब न मिले
मकाँ बनाया नहीं अब तो हमने
घर ही घर चारसूं बस सजाया है ,,,
*
इक तिनका आज फिर लायी हूँ
नीड़ फिर नया इक बनाई हूँ
खुद संग खुदा को भी ठहराई हूँ
मानवता के देव भी बैठाई हूँ
ज्ञान का दोस्त करता है चौकीदारी
छोटी सी प्यारी सी दुनिया ये हमारी
इक तिनका आज फिर लायी हूँ
नीड़ फिर नया इक बनाई हूँ,,,
**** शुचि(भवि)****