Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
21 Feb 2024 · 1 min read

इक्षाएं

इच्छाएं किसी के जीवन को ख़त्म नही करती
ये तो सबूत हैं हमारी मौजूदगी का
एक ऐसी दुनिया में
जहां कई लोग
अपनी आँखों पर पट्टी बांधे हुए
झुक रहे अपने कन्धों पर
के तिश्नगी को लादे हुए चल रहे हैं,
वो लड़खड़ाते हैं, गिरते हैं
वापस उठते हैं, ठोकर खाते हैं
और फिर गिर जाते हैं
पर वो आगे बढ़ना नही छोड़ते,
ये कोई हिम्मत की मिसाल नही
बल्कि कुछ चाहतों की नुमाइश है
जिन्हें अपनाकर इंसान
अपने जीवन को जीवन
और खुद को जीवित समझ बैठा है।

शिवम राव मणि

Language: Hindi
54 Views

You may also like these posts

दोस्ती का मर्म (कविता)
दोस्ती का मर्म (कविता)
Monika Yadav (Rachina)
(हमसफरी की तफरी)
(हमसफरी की तफरी)
Sangeeta Beniwal
दोहा त्रयी. . .
दोहा त्रयी. . .
sushil sarna
तुम कभी यह चिंता मत करना कि हमारा साथ यहाँ कौन देगा कौन नहीं
तुम कभी यह चिंता मत करना कि हमारा साथ यहाँ कौन देगा कौन नहीं
Dr. Man Mohan Krishna
नियति
नियति
surenderpal vaidya
भगतसिंह के वापसी
भगतसिंह के वापसी
Shekhar Chandra Mitra
देश को कौन बचाएगा
देश को कौन बचाएगा
ललकार भारद्वाज
अब तो गिरगिट का भी टूट गया
अब तो गिरगिट का भी टूट गया
Paras Nath Jha
जिस अयोध्या नगरी और अयोध्या वासियों को आप अपशब्द बोल रहे हैं
जिस अयोध्या नगरी और अयोध्या वासियों को आप अपशब्द बोल रहे हैं
Rituraj shivem verma
शलभ से
शलभ से
PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य )
"हमारी खामी"
Yogendra Chaturwedi
*मंजिल*
*मंजिल*
Priyank Upadhyay
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
👍
👍
*प्रणय*
नज़रें बयां करती हैं,लेकिन इज़हार नहीं करतीं,
नज़रें बयां करती हैं,लेकिन इज़हार नहीं करतीं,
Keshav kishor Kumar
कुछ और
कुछ और
Ragini Kumari
पहला इश्क
पहला इश्क
Dipak Kumar "Girja"
नज़र बूरी नही, नजरअंदाज थी
नज़र बूरी नही, नजरअंदाज थी
संजय कुमार संजू
दिल का टुकड़ा...
दिल का टुकड़ा...
Manisha Wandhare
प्रेम तत्व
प्रेम तत्व
Rambali Mishra
गुरु पूर्णिमा पर ....!!!
गुरु पूर्णिमा पर ....!!!
Kanchan Khanna
ग़ज़ल
ग़ज़ल
आर.एस. 'प्रीतम'
मां तो फरिश्ता है।
मां तो फरिश्ता है।
Taj Mohammad
उन बातों को अब सहा नहीं जाता
उन बातों को अब सहा नहीं जाता
Jyoti Roshni
कौन करें
कौन करें
Kunal Kanth
हिंदी दिवस पर हिंदी भाषा :मेरे कुछ मुक्तक
हिंदी दिवस पर हिंदी भाषा :मेरे कुछ मुक्तक
Sushila joshi
"वो इंसान"
Dr. Kishan tandon kranti
- टूटते बिखरते रिश्ते -
- टूटते बिखरते रिश्ते -
bharat gehlot
रिश्ते
रिश्ते
Sanjay ' शून्य'
ज़िंदगी के तजुर्बे खा गए बचपन मेरा,
ज़िंदगी के तजुर्बे खा गए बचपन मेरा,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
Loading...