ब्रेकअप इन 22 डेज….
सुमित नहाने के लिए अपने सारे कपड़े उतारकर बाथरूम में बैठकर मोबाईल की रिंग का इन्तजार कर रहा था। बिजली की रॉड से हुआ गरम पानी कब का ठंडा हो गया पता ही नही चला परन्तु अभी तक मोबाईल नही बजा था। और उसकी रिंगटोन , ” तू ही मेरी शुभ है सुबह है तू ही दिन है मेरा..” , बाथरूम में अभी तक नही गूंजी थी।
शरीर और पानी दोनों जनवरी की ठंड से लगातार ठंडे हो रहे थे। और प्यार में दे गवां चुका दिल भी अंदर से ठंडा हुए जा रहा था, किन्तु ठंड और बेबफाई के अवसाद में दिमाग अब भी लगातार शरीर के अंगों को सुरक्षा के लिए इम्पल्स भेज रहा था। इसी से मालूम होता कि प्यार के कोमा में गये व्यक्ति का साथ केवल दिमाग ही देता है, इसलिए दिमाग की आदेशों का जरूर पालन करना चाहिए, क्योंकि ऐसी परिस्थिति में दिल पेसमेकर लगाने पर भी काम नही करता। बाथरूम में बैठा सुमित यही सब सोच रहा था कि कुछ समय पहले की ही तो बात है..जब सब कुछ इतना रंगबिरंगा और सुहाना लगने लगा था। वस यही सब सोचते हुए सुमित बाथरूम में बैठा-बैठा उन्ही दिनों में पहुंच गया..
” सुमित अपने कमरे में बैठा पढ़ाई में जुटा पड़ा था तभी मोबाईल की रिंग बजी और सुमित अपनी स्टडी छोड़ बिजली की भांति मोबाइल पर टूट पड़ा और मोबाईल को देखा तो स्क्रीन पर लिखा आ रहा था विनी, जिसका वह इन्तजार कर रहा था। मोबाइल स्क्रीन पर यह नाम देख कर उसका दिल खिल उठा और मन प्रशन्नता से झूम गया किन्तु दिमाग ने भावनाओ को नियंत्रित करते हुए दांतो को होठों से बाहर चमकने नही दिया और हल्की सी मुस्कुराहट के साथ एंड्राइड फ़ोन के हरे गोले को फोन उठाने के लिए ऊपर खींच दिया..
फोन उठते ही हवा से भी हल्की आवाज़ फोन से आयी- हेलो.. हेलो…कहाँ हो..?
” कुछ दिनों से सुमित के लिए यही आवाज़ उसका पसंदीदा संगीत की धुन, अलार्म की घण्टी और पढ़ाई से बोर होने के बाद पुनः ऊर्जा प्राप्त करने का साधन बन चुकी थी । सुमित इस आवाज़ का इतना आदी हो चुका था कि उसका दिन और रात अब सूरज और चांद से होना बंद हो गया था..”
– फोन से आयी आवाज़ हेलो का सुमित ने हँसते हुए जबाब दिया..हांजी… कहाँ हो… कैसे हो…?
” कुछ देर पहले जब इसी नम्बर से फोन की घण्टी बजी थी तो सुमित ने उसे उठाया नही था और फिर कुछ देर बाद ही उसने मोबाइल को एयरोप्लेन मोड़ पर छोड़ दिया था क्योकि सुमित चाहता था कि वह अपनी पढ़ाई का एक अध्याय पूरा ले, उसके वाद ही बात करे । जिसका मुख्य कारण था वह प्रेम में खोकर आईएएस की तैयारी पर ध्यान लगाना चाहता था। एक साथ दो लक्ष्यों पर समान रूप से ध्यान देने की ऐसी विद्या तो गुरु द्रोण भी अर्जुन को नही दे पाए थे, जिसका अभ्यास सुमित कर रहा था। इसलिए उसने विनी को बिना बताए अपनी गलती को कैसे विनी के ऊपर डालकर बाहर निकलना है, सीख लिया था। इसलिए अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद जब भी वह विनी को फोन करता तो उससे यही कहता कि आप कहाँ हो..कैसे हो…? क्योकि अगर सामने बाला तुम्हारी गलती निकाले उससे पहले ही उसकी गलती निकाल दो, बाली बहुत हल्की सी राजनीति उसने सीख ली थी। और प्रेम और पढ़ाई को संतुलित करने के लिए वह इस राजनीति का खेल बार बार खेल रहा था..”
– सुमित के सामान्य और हर वार के उन्ही प्रश्नों को नजरअंदाज करते हुए, विनी ने पुनः उसी हवा से हल्की सी आवाज़ में प्रश्न करते हुए पूछा…पहले तुम बताओं घण्टे-घण्टे बाद तुम कहाँ चले जाते हो ..? फोन भी नही मिलता..तुमको पता है कि मैं कितनी वैचेन हो जाती हूँ, मुझे नर्वस डायरिया है और तुम हो कि इस बात को समझते ही नही हो..!
‘ विनी ने अपनेपन के अंदाज में इतनी बडी बात बोल दी कि सुमित के पास कहने के लिए कुछ बचा ही नही था..क्योकि जब प्यार किया है तो धड़कनों को तो सुनना ही पड़ेगा..फिर भी सुमित ने अपने प्रेम के खेल में बेशर्मी से हल्की-फुल्की झूठ बोलना सीख लिया था और फिर इस झूठ का सहारा लेते हुए उसने विनी को जबाब दिया..
– अरे नही सरकार, मैं यहीं तो था..। तुमको फोन भी किया था। बट नेटवर्क प्रॉब्लम की बजह से फोन लगा नहीं । तुम जानती ही हो नेटवर्क प्रॉब्लम भी इंडिया में एक इग्नोर्ड करप्शन है…। यह कहते हुए सुमित ने बात घूमाने के लिए अपना ज्ञान झाड़ दिया..
” वास्तव में सुमित एक साथ दो नावों पर पैर रखकर जीवन और कैरियर के भंवर को पार करने की कोशिश कर रहा था । वह सिविल सर्विस की तैयारी के लिए पढ़ने के समय अपने मोबाइल को ऐरोप्लेन मॉड पर कर देता था। जिससे विनी को लगे कि नेटवर्क प्रॉब्लम है और स्विच ऑन होने से वो नाराज भी ना हो। और दूसरी तरफ वह अपने पुराने अन कहे वन साइड लव, जो अचानक ही उसकी जिंदगी में दुबारा पुरे 4-5 साल बाद आ गया, को भी जीने की कोशिश कर रहा था। वास्तव में सिविल सर्विस की तैयारी में मिल रही लगातार असफलता उसे बार बार तोड़ रही थी। घर-समाज में उसकी रौनक खत्म हो चुकी थी। असफलता और अयोग्यता ने उसके जीवन को एकाकी बना दिया था। भैया-भाभी के घर के कमरे से अपनी ओफिस और फिर सिविल सर्विस की कोचिंग तक उसकी जिंदगी सिमट चुकी थी। कॉलेज के समय सैकड़ो यार दोस्तों से घिरे रहने बाले सुमित का ना कोई दोस्त बचा था और ना ही कोई दिल की सुनने बाला। उसके मम्मी-पापा ने भी उसकी भविष्य की योजना सुने बिना ही उसे अपने बड़े बेटे के घर पर छोड़कर चैन की सांस ले रहे थे। ना कभी फोन करते थे और ना कभी उसके दिल में पैठ कर रही खामोशी को सुनने की कोशिश करते। माता-पिता का साल में केबल एक बार फोन आता, जब सिविल सर्विस की प्रारंभिक परीक्षा का परिणाम आता, और जब सुनते कि सफलता नही मिली, बिना कुछ बोले ही फोन काट देते । इन्हीं सब परिस्थियों से सुमित पिछले तीन-चार साल से लगातार झूझ रहा था, केवल अकेला बड़े घर में एक कमरे के अंदर पढ़ाई करता रहता। वास्तव में समाज सफलता को केवल वस्तुनिष्ठ प्रकार से देखता है और हर सफल व्यक्ति अपने संघर्ष को वस एक बुरे दौर पर अपनी योग्यता की विजय के जश्न में मनाता है ना संघर्ष से सीख लेकर दुसरो के लिए सहायक बनता.. अपनी अयोग्यता से बेकाबू होती इन्ही सब परिस्थितियों से निबटने के लिए ही सुमित ने अपने पुराने दोस्त के कहने पर विनी से बात की थी…”
सुमित ने फोन पर विनी से हो रही बात को आगे बढ़ाते हुए कहा….
– अच्छा जी बताओ, अब तो ठीक हो गया तुम्हारा नर्वस डायरिया, माई एंजेल ..?
– विनी ने भी बिना देर किए जबाब दिया-हाँ ठीक हो गया और फिर पेड़ का पत्ता ना हिल जाने बाली हंसी के साथ फोन पर हँसने लगी..हा.. हा.. हा…
और फिर सुमित से हंसते हुए कहा- प्लीज तुम ऐसे ना जाया करो मुझे बहुत बैचेनी होती है..।
” विनी का यह प्रेम सुमित के लिए परिस्थितियों की तपती भट्टी में शीतल हवा के समान और उसके इतिहास की इक्षा का पूरा होना था। किंतु सुमित इसके लिए अतिउत्साहित नही था। वह एक एक पैर सोच समझकर और पूरे धैर्य के साथ रख रहा था। क्योंकि वह नही चाहता था कि उसका इतिहास जो वर्तमान बनकर आया है पुनः इतिहास की इक्षा बनकर रह जाय। और वह इस बात को अच्छे से समझता था कि पेड़ पर रहने वाला पक्षी पतझड़ जाते ही बसन्त के मौसम में पुनः उसी पेड़ पर आ जाता है। इसलिए इस प्यार में अभी उथलापन ज्यादा गहराई कम थी। किंतु वह उसे गहरा करने की लगातार कोशिस जरूर कर रहा था..”
सुमित ने विनी की बात का जबाब देते हुए कहा..
– मैं कहाँ जाता हूँ, मैं तो हरदम तुम्हारे साथ ही तो रहता हूँ, तुम्हारी आँखों में।
– विनी ने हंसते हुए पूछा अच्छा कहाँ साथ हो बताओ तो..?
– सुमित ने भी अपने हर दिन के अंदाज में बोला अपनी आँखे बंद करो..तभी तो दिखूंगा
– विनी ने कहा लो कर ली..और अभी तो नही दिखे हो
–सुमित बोला अच्छा अब मेरा नाम लो..तब दिखूंगा
– विनी ने धीरे से बड़े प्रेम से हवा से भी हल्की आवाज़ में सुमित का नाम लिया..” सुमित ”
– सुमित ने पूछा…अब मैं दिखा…?
–विनी हंसी और बोली- हाँ दिख गये
–सुमित ने बाजी मारते हुए कहा..तो फिर बताओ मैं कैसा लग रहा हूँ..?
– अब विनी ने भी अपनी हंसी में शरारत घोल कर जबाब दिया-तुम तो टू थाउजेंड नाइन बाले सुमित दिख रहे हो । मुझे तो अभी बाले सुमित को देखना है ।
–सुमित ने बोला.. अच्छा जी
–विनी ने जबाब दिया.. हाँ जी ..
” वास्तव में विनी और सुमित की पहली मुलाकात सन दो हजार नौ में एमबीए की कोचिंग में हुई थी। सुमित विनी को पसंद करने लगा था इसलिए वह उसे चुपके चुपके देखा करता था। हालांकि इस बात का भान विनी को भी था किंतु उस समय उसका पंकज नाम का एक बॉयफ्रेंड था, जिसका पता सुमित को विनी के फेसबुक एकाउंट से चला था। कोचिंग समाप्त होने के बाद सुमित का वन साइड लव उसके दोस्तों की जानकारी तक ही सिमट कर रह गया। विनी कोचिंग के बाद एक प्राइवेट स्कूल में हाईस्कूल की टीचर बन गयी थी, और पंकज का साथ संलग्न रही। किन्तु कुछ सालों बाद पंकज के नशे की आदत से परेशान होकर विनी और पंकज का ब्रेकउप हो गया था ..”
-विनी ने हंसते हुए और एक अधिकार के साथ सुमित से कहा कि चलो अपनी फोटो खींचकर मेरे व्हाट्सएप पर सेंड करो..
–सुमित ने बात घूमाते हुए कहा.. अरे अभी अभी में बाहर से आया हूँ थोड़ा कपड़े-सपड़े डाल के भेजता हूँ।
–विनी ने शरारती बच्चों की तरह जिद करते हुए कहा.. नही तुम पहले भी स्मार्ट थे अब भी हों.. प्लीज भेजो ।
” सुमित विनी के मुँह से अपनी तारीफ सुन ज्यादा खुश नही हुआ.. क्योकि सन दो हजार नौ मैं वह वर्तमान से कहीं ज्यादा सुडौल और स्मार्ट हुआ करता था। और उसकी पर्सनेलिटी एवं बॉडी की तारीफें लड़कियां ही नही लड़के भी करते रहते थे। लडकिया सुमित को बड़े चाव से देखती थी किन्तु लड़कों के लिए खूंखार सुमित लड़कियों के सामने भीगी बिल्ली तो नही किन्तु भीगा चूहा जरूर था। जो लडकिया उसे पसंद करती थी वह उनसे भी कभी बात नही करपाया। वस अपने दोस्तों को उनसे बात करने के लिए उनके पास ऐसे ही भेजता रहता। आगे चलकर उसका यही लौ कॉन्फिडेंस उसके जीवन की सबसे बड़ी मुसीबत बनकर उभरा..”
–विनी के कहने पर सुमित ने जिम से सुडौल हुई मसल्स का फोटो लेते हुए व्हाट्सअप पर फ़ोटो सेंड कर दी..और फोन पर बात करते हुए बोला – ये लो जी फ़ोटो सेंड कर दी, देख लो और बताओ अब कितना बदल गया हूँ..?
– विनी ने जल्दी में बोला अच्छा देख कर बताती हूँ । और फिर फ़ोटो देखते ही टिप्पणी की ‘तुम ज्यादा बॉडी ना दिखाया करो शर्दी पड़ रही है शर्दी लग जाएगी और फिर सारी बॉडी नाक से होकर झींको में निकल जाएगी..’ और यह कहकर विनी व्यंगात्मक हंसी हँसने लगी..
– किन्तु सुमित को विनी के इस व्यंग में भी मजा आया था। और उसने अपने पुराने तरीके में जबाब दिया अरे भैया , मैं रूम में था , और हीटर भी चल रहा है सो यहाँ शर्दी नही लग रही ही ।
– विनी ने डांटते हुए कहा..तुम चुप रहो..भैया..!!!
यह कह कर हल्के से बिल्ली की तरह हँस गयी.. खी.. खी… खीं..
–सुमित ने विनी को छेड़ते हुए पूछा.. अच्छा ये बताओ फोटो कैसी लगी..? हालांकि इस समय यह प्रश्न सुमित ने अपनी तारीफ सुनने के लिए नही किया था, बल्कि बढ़ रहे टेस्टोस्टेरोन हॉर्मोन को सन्तुष्टि देने के लिए ऐसे ही पूछ लिया था…
–उधर विनी ने भी उसी अंदाज में जबाब देते हुए कहा.. बहुत स्मार्ट लग रहे हो ,ऐसा लगता है तुमको खा जाऊं ।
–सुमित ने उसे पुनः छेड़ते हुए कहा.. यार तुम प्योर वेग हो ।
– विनी ने भी जबाब दिया.. तुमको तो मैं फिर भी खा जाऊंगी ।
सुमित ने विनी के साथ उसी माहौल को बनाए रखने के लिए उससे बोला.. चलो अब तुम अपनी फोटो मेरे वट्सअप पर भेजो ।
–विनी ने तेज़ शरारती आवाज़ में जबाब दिया.. मैं नही भेज रही ।
– सुमित ने आश्चर्य से पूछा क्यूँ..?
– विनी ने फिर से शरारती अंदाज में जबाब दिया वस ऐसे ही..बताओ क्या करोगे..?
–सुमित ने मायूसी की आवाज़ में कहा.. ये तो कोई बात नही हुई जी ।
–विनी ने शरारती अंदाज में पूछा.. अच्छा बताओ तुम क्या करोगे मेरी फोटो का ..?
– सुमित ने भी पतंग की डोर में ढील देते हुए जबाब दिया.. मैं देखना चाहता हूँ कि तुम कितनी सुंदर हो गयी हो और तुम्हारा फ़ोटो मैं अपने मोबाइल के वॉलपेपर पर लगाना चाहता हूं, जिससे मोबाइल खोलते ही तुम दिखो..?
– विनी ने तुरंत ही एक नया सबाल कर दिया..अगर सुंदर नही लगी तो नही लगाओगे..
– सुमित विनी के प्रश्न से झिझक गया किन्तु बात को संभालते हुए बोला नही तुम खूबसूरत हो, तभी तो में कोचिंग में सिर्फ तुमको ही देखा करता था और हमेशा तुम्हारे पीछे ही बैठता था..
– सुमित की पुरानी यादें सुन विनी शरमा गयी और बोली,हां मैं जानती थी ।तुम मुझे बहुत देखते थे..
सुमित जानता था कि विनी पंकज के साथ संलग्न थी, इसलिए उसने उस बात पर ज्यादा बात नही की और उस बात को वही पर छोड़ना ठीक समझा..
–विनी ने सुमित की बात सुनी और तपाक से जबाब दिया.. ज्यादा शैतानी ना करो , मैं फोन रख रही हूँ , मम्मी बुला रही है और जाओ पढ़ाई करो..आईएएस बनना है ना..?
बड़े लोगों के जैसी विनी की डांट सुन सुमित ने भी सरलता से कह दिया– ठीक है जाओ , मम्मी के पास …
–विनी सुमित पर खीझते हुए बोली.. अरे तुमने तो सच ही मान लिया। अरे लड़कियों के थोड़े बहुत नखरे भी सहन करना सीखो..। तभी लड़कियां पास आती है बरना स्मार्ट बनकर और डोले-सोले दिखाकर कोई लड़की नही पटती.. समझे.. यह कहकर विनी बच्चों बाली हंसी हँसने लगी..हा.. हा… हा..
–सुमित ने पुनः सरलता से अनजान बनते हुए कहा.. अरे अभी तुमने ही तो कहा था कि मम्मी बुला रही है…!
–विनी अब प्रेम भरी बातों के बीच मे इस फालतू की बहस में उलझना नही चाहती थी, इसलिए उसने सुमित के दुबारा ना कहने पर ही कहा.. अच्छा चलो मैं अपनी फोटो सेंड करती हूँ, वैट करो… । बट थोड़ी देर के लिए मोबाईल कट करना होगा क्योंकि में तुम्हारी तरह सेल्फी नही ले पाती ।
–सुमित ने पकते हुए प्रेम में थोड़ा गरम मसाला डाल उसे चटपटा बनाने की कोसिस करते हुए कहा.. ओके , पर कुछ मस्त सी और सेक्सी सी फोटो क्लिक करना ।
– यह सुन विनी की हवा से हल्की आवाज़ अब हवा से भारी हो गयी और डांटते हुए बोली- अच्छा सेक्सी फोटो तुम अपनी दिल्ली बाली लड़कियों से ही देखना मैं तो सिंपल फोटो ही सेंड करूंगी ।
– सुमित विनी की बात सुन हंसा और कहा ..चलो ओके ।
” विनी देखेने में उतनी खूबसूरत नही थी जितनी आजकल के लड़के सोचते है, किन्तु विनी की नाजुकता और शर्मीले स्वभाव से सुमित बहुत प्रभावित था। उसके सरल से और अच्छे कपड़े होते थे, उसके सेडलों की हील बड़ी होती थी और बाल बांधने का तरीका भी सामान्य गृहणियों जैसा था। कोचिंग में सुमित जानबूझकर उसकी कुर्सी के पीछे बाली कुर्सी पर बैठता था। विनी के बालों से शेम्पू की भीनी भीनी खुशबू आती रहती थी, जिसे सूंघते हुए सुमित विनी की सादगी पर फिदा हो चुका था। सुमित के दोस्त विनी की मजाक बनाते हुए उसे स्लो मोशन कहते, किन्तु सुमित के तो दिलो-दिमाग पर वह छा चुकी थी। इतनी सीधी साधी होते हुए भी सुमित कभी भी उससे प्रेम का इजहार नही कर पाया। जबकि लड़को से लड़ाई करने के लिए सुमित हमेशा सांड बना घूमता रहता..”
विनी के वेट करने के लिए कहने पर, फोन रख कर सुमित अगेन अपनी स्टडी पर कंसन्ट्रेट करने लगा किन्तु उसके दिमाग में अभी भी विनी की ही बातें चल रही थी। उसका फ्रेंड सौरभ हमेशा उसकी माजक बनाता था कि इसको कोई मोटी , कोई औरत जैसी लडकिया ही पसन्द आती है। यही सब सोचते हुए सुमित सौरभ की बात याद कर हंसने लगा। किंतु सुमित विनी की उस कोमलता और सौम्यता को नही भूला था, जिस पर उसका दिल फिसल गया था । वह उस खुसबू को भी नही भूला था जो उसके भीगे बालों से शेम्पू की आती थी और जिसे वह उसके पीछे बैठकर सूंघता रहता था ।
“वास्तव में आशिकों का कोई मिजाज नही होता और ना ही कोई स्टेंडडर। किसी को पता नही कि आशिक पर किस बात से आशिकी का जुनून सबार हो जाय। सच में आशिकी कितना कुछ बदल देती है एक पत्थर जैसे आदमी में भी दिल धड़का देती है। परन्तु आजकल तो लव भी जिहाद होने लगा है..”
– कुछ देर बाद किताब पर रखे फोन में व्हाट्सएप के नोटिफिकेशन की घण्टी ऐसे बजी जैसे कोई चिड़िया एक बार चहक गयी हो..और फोन का स्क्रीन अचानक चमक उठा..
सुमित को स्क्रीन के चमकते ही आभास हो गया कि विनी ने अपना फ़ोटो खींचकर सेंड किया है..इसलिए उसने जल्दी से फ़ोटो उठाया और देखा..
– उस फ़ोटो को देखकर सुमित थोड़ा मायूस जरूर हुआ था किंतु फिर भी उसे वह पसन्द आया और उसे जब तक देखता रहा तब तक उस फ़ोटो में उसे जो कमी दिख रही थी वो दिखना बन्द ना हो गयी.. क्योकि पहले पहल उसने उसे दिमाग से देखा तथा और अब उसे दिल से देख रहा था.. उस दिल से जो उसी फ़ोटो बाली विनी के लिए प्रेम सन्देश भेज रहा था… अब उसे विनी की आंखों के बड़े बड़े काले घेरे नही दिख रहे थे और ना ही उसका वह रूखा-सूखा चेहरा।
विनी के बारे में सोचते हुए और उसका फ़ोटो देखते हुए रात के 12 बज गये और सुमित ने ना तो डिनर किया और ना ही स्टडी पर ध्यान लगाया। उसकी भाभी ने डिनर के लिए बुलाया भी था किंतु बोल दिया भूख नही है।
मतलब अब उसके ऊपर प्यार के सिम्पटम पुरे आने लगे थे……
सुमित बाथरूम में बैठा हुआ अपने और विनी के बारे में यही सब सोच रहा था और उन्ही दिनों को याद कर रहा था जब हर दिन की शुरुआत विनी के गुड मॉर्निंग और रात विनी की गुड नाईट से होती थी।
नहाने के लिए भरा पानी अब पूरी तरह ठंडा हो चुका था किंतु उसने उसे पुनः गरम ना करके वह उसी ठंडे पानी से नहाया। उस ठंडे पानी ने एक समय के लिए सुमित की मायूसी और बैचेनी को तोड़ दिया जो उसे बिना बताए विनी के चले जाने से मिली थी । यह मायूसी तोड़ना इतना आसान नही था क्योंकि विनी ने एक रात पहले ही सुमित से रात के दो बजे तक प्रेमभरी बाते की थी और अगले सुबह दोपहर के 2 बजे तक फोन नही उठाया, और जब फोन उठाया तो बोला सुमित मेरे पापा ने पंकज से मेरी शादी के लिए हां कह दी है…उसी पंकज के लिए जिससे विनी कुछ महीनों पहले नफरत करती थी, और उसे शराबी,नशेड़ी, दोखेबाज कहते हुए, सुमित को फोन लगाकर रात के एक दो बजे तक रोती रहती थी। और सुमित उसे सांत्वना देता और उसके अंदर पुनः आत्मविस्वास भरने की कोशिस करता जो पंकज ने उसकी शारीरिक बुराई करके खत्म कर दिया था।
अब सुमित जल्दी से नहाकर अपना बैग लटकाकर बाइक स्टार्ट कर सिविल सर्विस का मॉक टेस्ट देने के लिए कोचिंग पहुँच गया। पहले उसने पिछले टेस्ट का रिजल्ट देखा जिसमे उसकी रैंक सातवीं थी । किन्तु विनी के जाने के गम से वह खुश नही हो सका और उन्ही बातों को सोचने लगा कि उसने फोन तक नही उठाया और इक्कीस दिन पहले जिस लड़के से नफरत करने की बात बो कह रही थी और रात के 2 बजे फोन पर रो रही थी क्या वो वही विनी थी जिसे मैंने संभाला था उसके रोने को शांत किया। और उस स्पेस को भरा जो उसके पुराने बी.एफ पंकज के जाने से खाली हो गया था। उसके फेस पर वही पुरानी मुस्कान लौटाई और अपनी स्टडी छोड़कर उसकी हर एक बात पर ध्यान दिया, पूरा समय दिया। उसके फोटो की तारिफ कर उसके कॉन्फिडेंस को पुनः बहाल किया और जब सुमित उसमे डूबने लगा तो उसने पहले तो फोन नही उठाया और एक और जब फोन उठाया तो बोल दिया सुमित, पंकज ने मेरे पापा से बात कर मुझसे शादी करने को मेरे पापा को राजी कर लिया है…..
वस यही सब सोच रहा था
फिर कोचिंग बैल बजी और सुमित उसी उदासी भरे मन से मॉक टेस्ट देने चला गया….
सोलंकी प्रशांत
8527812643
नई दिल्ली
मेरी स्वरचित कहानी है और सभी पात्र काल्पनिक और घटना मेरे विचारों की उड़ान भर है।