इकरार
इकरार मैं छुपी रार होती है
यूं ही नही तकरार होती है
महफिल में सरेआम किसी की
इज्जत तार -तार होती है
वो वादे इरादे से मुकर गए
यूं ही नही मेरी हार होती है
पत्थर बनाना ऐ खुदा मुझे
इंसानियत तो शर्मसार होती है
©ठाकुर प्रतापसिंह राणा
सनावद (मध्यप्रदेश)