इंसा भी बदलता है वक्त निकल जाने के बाद
हुई घनघोर बारिश तूफाँ गुज़र जाने के बाद
ज़िन्दगी में कोई आये तुम्हारे जाने के बाद
बाद मौत नही निभाता रिश्ता किसी से कोई
सब भूल जाते है समय गुज़र जाने के बाद
रिश्तों में खट्टा-मीठापन सदा तुम अपने रखो
कोई बोलता तक नही है रूठ जाने के बाद
उम्मीदी नाउम्मीदी भी फ़क्त समय का फेर है
इंसा भी बदलता है वक्त निकल जाने के बाद
ख़ामोश पल को मेरे तुम कभी समझ ना सके
वो दौर भी आया है ये दौर गुज़र जाने के बाद
तन्हाइयां गुज़रती चली जा रही बरसो से ऐसे
तन्हा ही रहे यूं अब साँसे निकल जाने के बाद
मेरी मुश्किलें मुझसे ही यूं बारम्बार राब्ता करे
मंज़िल आयेगी आकिब”परेशानी जाने के बाद
-आकिब जावेद
(स्वरचित/मौलिक)