इंसाफ़ प्रियंका को मिले(डॉ.प्रियंका रेड्डी-पशु चिकित्सक)
इंसाफ़ प्रियंका को मिले
—————————-
एक अकेली लड़की देखी,क्यों फिर हद खंडित होती है?
क्या मानव का रूप यही है,देख प्रियंका तन खोती है।।
लूट रहे हो अबला नारी,
बनके हैवान बलात्कारी,
माँ बहनों की याद नहीं है,
जो सबकी हैं मान दुलारी,
अपने सुख को दुख देते हो,तुम हँसते हो वो रोती है।
बहशी नीच दरिन्दे के मन,एक दया ही ना होती है।।
रावण तुमसे लाख सही था,
दानव तुम वो सोच नहीं था,
हर साल जलाया जाता है।
दोष अधिक क्या देख कहीं था?
अपराध सबूत मिटा छूटे,लाचारी आँसू ढ़ोती है।
लाचारी की हार नहीं ये,हार मनुजता की होती है।।
चौराहे पर फाँसी लटका,
मारो गर्दन को रे!चटका,
देखे जो दुस्साहस भूले,
खुल जाए द्वार यहीं घट का,
मंदिर-दीप जलाओ मन में,पूजा सच्ची तब होती है।
आज कलेजा छलनी होता,नारी रूह कहीं रोती है।।
?आर.एस.प्रीतम?