इंसान रूपी भगवान
**इंसान रूपी भगवान**
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ना आव देखा ना ही ताव
खेल दिया जान का दांव
छोड़ छोटे छोटे घर बच्चे
करते आकर बीच बचाव
करते नहीं जान परवाह
रोगी का रखें रख रखाव
तन मन से रहते सेवारत
संसाधन का चाहे अभाव
नहीं करते हैं निज चिंता
होता वृत्ति से घना जुड़ाव
मौसम चाहे भी हो कैसा
कर्तव्य पर रहता झुकाव
जाति,धर्म,रंग का ना भेद
नहीं र खते हैं कोई दुराव
भू पर इंसां रुपी भगवान
रोक दें नरसंहार फैलाव
जांबाज योद्धे बड़े महान
रोग वृद्धि में कर ठहराव
दिल से करते रोग निदान
होता सदैव मधुर स्वभाव
सुखविंद्र करता गुणगान
चिकत्सीकीय सेवा भाव
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)