Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
9 May 2024 · 1 min read

*इंसान बन जाओ*

जीवन में विचारों की तस्वीर बन जाओ,
मिटा सके जो अंधेरा ऐसा प्रकाश फैलाओ,
क्यों दूर खड़े होकर तमाशा देखते हो l
हाथ से हाथ मिलाकर इंसान बन जाओ ll
तकदीर तलाशते हो क्यों हाथों की लकीरों में,
तकदीर तलाशते हो क्यों हाथों की लकीरों में,
हाथ से हाथ मिलाकर इंसान बन जाओ l
बुराइयां ही तुम्हें क्यों रास आती हैं,
नफरत ही तुम्हें क्यों मन भाती है,
अरे तुम तो जाते हो मंदिर और मस्जिद बहुत l
वहां जाने से पहले दिलों का मैल मिटाओ l
हाथ से हाथ मिलाकर इंसान बन जाओ ll
मजहब का वास्ता देते हो बहुत,
मजहब का वास्ता देते हो बहुत,
जिहाद का नाम बदनाम करते हो l
फेक दो इन हथियारों को तुम
फिर से गीता और कुरान बन जाओ ll
हाथ से हाथ मिलाकर इंसान बन जाओ ll
तोड़ दो इन सीमाओं की दीवारें,
भुला दो यह दुश्मनी और उसके अंगारे,
कुछ ऐसा करो कि तुम भी चमन के फूल बन जाओ l हाथ से हाथ मिलाकर इंसान बन जाओ ll
सदियों तक चमकता रहे तुम्हारा यह सितारा,
नाम रोशन हो और मिल जाए किनारा,
देश के खातिर फिर से गांधी और सुभाष बन जाओ l
हाथ से हाथ मिलाकर इंसान बन जाओ ll
जीवन में विचारों की तस्वीर बन जाओ,
मिटा सके जो अंधेरा ऐसा प्रकाश फैलाओ,
हाथ से हाथ मिलाकर इंसान बन जाओ ll
जय हिंद

– शशांक मिश्रा

1 Like · 40 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
आज इंसान के चेहरे पर चेहरे,
आज इंसान के चेहरे पर चेहरे,
Neeraj Agarwal
**वसन्त का स्वागत है*
**वसन्त का स्वागत है*
Mohan Pandey
महफ़िल जो आए
महफ़िल जो आए
हिमांशु Kulshrestha
अब ना होली रंगीन होती है...
अब ना होली रंगीन होती है...
Keshav kishor Kumar
खुद को खोने लगा जब कोई मुझ सा होने लगा।
खुद को खोने लगा जब कोई मुझ सा होने लगा।
शिव प्रताप लोधी
पुजारी शांति के हम, जंग को भी हमने जाना है।
पुजारी शांति के हम, जंग को भी हमने जाना है।
सत्य कुमार प्रेमी
"एक नज़र"
Dr. Kishan tandon kranti
गंगा- सेवा के दस दिन (तीसरा दिन)- मंगलवार 18जून2024
गंगा- सेवा के दस दिन (तीसरा दिन)- मंगलवार 18जून2024
Kaushal Kishor Bhatt
एक कथित रंग के चादर में लिपटे लोकतंत्र से जीवंत समाज की कल्प
एक कथित रंग के चादर में लिपटे लोकतंत्र से जीवंत समाज की कल्प
Anil Kumar
अपने कदमों को बढ़ाती हूँ तो जल जाती हूँ
अपने कदमों को बढ़ाती हूँ तो जल जाती हूँ
SHAMA PARVEEN
*Loving Beyond Religion*
*Loving Beyond Religion*
Poonam Matia
संस्कार और अहंकार में बस इतना फर्क है कि एक झुक जाता है दूसर
संस्कार और अहंकार में बस इतना फर्क है कि एक झुक जाता है दूसर
Rj Anand Prajapati
■ आज का शेर
■ आज का शेर
*प्रणय प्रभात*
2710.*पूर्णिका*
2710.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
*वृद्धावस्था : सात दोहे*
*वृद्धावस्था : सात दोहे*
Ravi Prakash
लिख देती है कवि की कलम
लिख देती है कवि की कलम
Seema gupta,Alwar
जंगल ये जंगल
जंगल ये जंगल
Dr. Mulla Adam Ali
"बचपन"
Tanveer Chouhan
|नये शिल्प में रमेशराज की तेवरी
|नये शिल्प में रमेशराज की तेवरी
कवि रमेशराज
शिमला, मनाली, न नैनीताल देता है
शिमला, मनाली, न नैनीताल देता है
Anil Mishra Prahari
अब युद्ध भी मेरा, विजय भी मेरी, निर्बलताओं को जयघोष सुनाना था।
अब युद्ध भी मेरा, विजय भी मेरी, निर्बलताओं को जयघोष सुनाना था।
Manisha Manjari
आगे पीछे का नहीं अगल बगल का
आगे पीछे का नहीं अगल बगल का
Paras Nath Jha
सजाता हूँ मिटाता हूँ टशन सपने सदा देखूँ
सजाता हूँ मिटाता हूँ टशन सपने सदा देखूँ
आर.एस. 'प्रीतम'
डॉ अरूण कुमार शास्त्री - एक अबोध बालक 😚🤨
डॉ अरूण कुमार शास्त्री - एक अबोध बालक 😚🤨
DR ARUN KUMAR SHASTRI
मैं भी तुम्हारी परवाह, अब क्यों करुँ
मैं भी तुम्हारी परवाह, अब क्यों करुँ
gurudeenverma198
अजीब करामात है
अजीब करामात है
शेखर सिंह
जानते वो भी हैं...!!
जानते वो भी हैं...!!
Kanchan Khanna
मैं
मैं
Vivek saswat Shukla
शौक में नहीं उड़ता है वो, उड़ना उसकी फक्र पहचान है,
शौक में नहीं उड़ता है वो, उड़ना उसकी फक्र पहचान है,
manjula chauhan
भय भव भंजक
भय भव भंजक
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
Loading...