*इंसान बन जाओ*
जीवन में विचारों की तस्वीर बन जाओ,
मिटा सके जो अंधेरा ऐसा प्रकाश फैलाओ,
क्यों दूर खड़े होकर तमाशा देखते हो l
हाथ से हाथ मिलाकर इंसान बन जाओ ll
तकदीर तलाशते हो क्यों हाथों की लकीरों में,
तकदीर तलाशते हो क्यों हाथों की लकीरों में,
हाथ से हाथ मिलाकर इंसान बन जाओ l
बुराइयां ही तुम्हें क्यों रास आती हैं,
नफरत ही तुम्हें क्यों मन भाती है,
अरे तुम तो जाते हो मंदिर और मस्जिद बहुत l
वहां जाने से पहले दिलों का मैल मिटाओ l
हाथ से हाथ मिलाकर इंसान बन जाओ ll
मजहब का वास्ता देते हो बहुत,
मजहब का वास्ता देते हो बहुत,
जिहाद का नाम बदनाम करते हो l
फेक दो इन हथियारों को तुम
फिर से गीता और कुरान बन जाओ ll
हाथ से हाथ मिलाकर इंसान बन जाओ ll
तोड़ दो इन सीमाओं की दीवारें,
भुला दो यह दुश्मनी और उसके अंगारे,
कुछ ऐसा करो कि तुम भी चमन के फूल बन जाओ l हाथ से हाथ मिलाकर इंसान बन जाओ ll
सदियों तक चमकता रहे तुम्हारा यह सितारा,
नाम रोशन हो और मिल जाए किनारा,
देश के खातिर फिर से गांधी और सुभाष बन जाओ l
हाथ से हाथ मिलाकर इंसान बन जाओ ll
जीवन में विचारों की तस्वीर बन जाओ,
मिटा सके जो अंधेरा ऐसा प्रकाश फैलाओ,
हाथ से हाथ मिलाकर इंसान बन जाओ ll
जय हिंद
– शशांक मिश्रा