इंसान की इंसानियत मर चुकी आज है
इंसान की इंसानियत मर चुकी आज है
दिखावा हम कर रहे खुले में वह आज है
रोना रो रहे हैं दिखाकर वह आज जमाना है
भुखमरी के इस संसार में सरकार लूटती है।
प्रेमदास वसु सुरेखा
इंसान की इंसानियत मर चुकी आज है
दिखावा हम कर रहे खुले में वह आज है
रोना रो रहे हैं दिखाकर वह आज जमाना है
भुखमरी के इस संसार में सरकार लूटती है।
प्रेमदास वसु सुरेखा