इंसान कभी बुरे नहीं हालात बुरे होते हैं
इंसान कभी बुरे नहीं हालात बुरे होते हैं
दिल से होते हैं साफ़ जो लोग खरे होते हैं
रह-ए-तलब में ना हो परेशां ज़ुल्फो की तरहा
लोग सच से नहीं अफवाहों से डरे होते हैं
दर्द किसी का होता नहीं महसूस सिर्फ़ उन्हें
ज़िंदा होकर भी जिनके ज़मीर मरे होते हैं
ज़रा सी बात पे हो जाते हैं संजीदा यारो
यक़ीनन वो दिल मोहब्बत से भरे होते हैं
हंसते खेलते ही ज़िंदगी को बिताना सीखो
पेड़ वही महकते हैं जो पत्तों से हरे होते हैं
न उलझो ज़िंदगी की हर मौज-ए-तूफ़ान से तुम
कुछ हादसे इंसान की समझ से परे होते हैं
मनाते हैंजश्न मुंसिफ के साथ मुज़रिम रुज़ -ए-हश्र
आजकल एब़ भी ‘सरु ‘आतिश में निखरे होते हैं