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12 Aug 2018 · 1 min read

इंसानी वज़ूद

ये पवन ये जमीं
ये खुला आसमां
ये पानी की बूंदें
ये सूरज की किरणें
ये तारों का जहाँ
ये चन्दा की चमक
ये सुबह दुपहर साँझ
ये रात औऱ सवेरा
किसका है आख़िर?
आख़िर किसका है?
ये तेरा है या मेरा है
ये उसका है फ़िर किसका है?
तू आख़िर कौन है?
तू ख़ुदा है क्या?
शहंशाह भी हो
आख़िर कब तक है?
देख ले तू क़द अपना
तू धूल भी है तू मिट्टी भी
कभी भूखा है
कभी प्यासा भी
कभी पासा है कभी तमाशा भी
तेरे जैसे औऱ भी हैं इक़ तू नहीं
तू हिस्सा है किसी कहानी का
वो कहानी जो लिखी जा रही है
वो कहानी जो सबकी लिखी जाती है
वो कहानी जो ख़ुदा लिखता है
अब करना है तो इतना कर
देख ले तू अभिनय अपना
डोर तेरे हाथों नहीं
कठपुतली है
कठपुतली है
कठपुतली है फ़कत
तू इससे ज़्यादा कुछ नहीं………

__अजय “अग्यार

Language: Hindi
395 Views
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