#इंसानियत
काश! फूलों की हो हर ओर सियासत,
भंँवरों पर रहे सख़्त हर वक़्त ही पहरा।
तितलियाँ बेख़ौफ़ बिखरायें रंगीनियाँ,
फूलों की ख़ुशबू से महके हर सहरा।।
मकरंद चुन तितली यूँ पानी में दे मिला,
रगो में लहू बहे इंसानियत का बस गहरा।
© ® उषा शर्मा
जामनगर (गुजरात)