” इंसानियत”….
दिल से दिल का सबब ना पूछो,,
मुझसे मेरा मजहब मत पूछो !!
इन्सान हूँ सिर्फ़ इतना जानता हूँ,
हर किसी को अपना मानता हूँ !!
आजकल ख़ामोशी ही मेरी जुबाँ है,
मेरी ख़ामोशी की वजह मत पूछो !!
दिल से दिल का सबब ना पूछो,……..!१!
क्या तेरा है और क्या मेरा है ??
दो दिन का बस ये रैन बसेरा है !!
जात,धर्म से ही बस इन्सान न्यारा है,
लेकिन प्रकृति को देखो,सब कुछ प्यारा है !!
दिल से दिल का सबब ना पूछो,………!२!
सब कुछ छोड़ इंसानियत को अपनाना है,
रिश्ता प्यार का हर किसी से बनाना है !
जब तलक बुझती नहीं एक दूजे की प्यास है!!
“सत्या” को बस यही ईक आखिरी आस है,
मुझ से मेरा मजहब मत पूछो ,,
दिल से दिल का सबब ना पूछो……….!३!
Satya shastri. Jind(HR).