इंसानियत न रही इंसान में
कोरोना भी कुछ सोचकर इंसानों की दुनिया में आया होगा
मुझे लगता है सबक सिखाने ही तो आया होगा।
भूल गया है इंसान आज इंसानियत को ,
शायद यही बताने तो कोरोना आया होगा।
जाति मजहब की बातें कर करके
दूसरों को चोट पहुंचा रहा है इंसान आज
शायद इसी का भेद मिटाने कोरोना आया होगा।
मार रहे हैं बेजुबान जानवरों को स्वार्थ की खातिर इंसान आज
और कह रहे हैं इंसानों को बुद्धिमान आज ,
हां ! यही पाठ पढ़ाने कोरोना आया होगा ।
छीन कर बेकसूर जानवरों की जान नासमझ बन रहा इंसान आज
कहते तो गर्व से हम इंसान हैं ,
मगर कोई बताये मुझे कहीं इंसानियत बची है इंसान में
इसलिए तो जानवरों को छोड़ इंसानों को कोरोना हो रहा आज।
— Prabha Nirala